2000 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में ईडी ने बड़ा खुलासा किया है। पूछताछ के बाद ईडी ने यह दावा किया है कि शराब घोटाले के मास्टरमाइंड पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर है। ईडी ने दावा किया है कि, शराब घोटाले का खेल वर्ष 2019 से 2022 के बीच जारी रहा। घोटाला करने कई तरीके अपनाए गए, उनमें नकली होलोग्राम का इस्तेमाल भी शामिल है। ईडी ने घोटाले को तीन केटेगरी ए बी सी में बांटा है।
ईडी ने घोटाले को तीन केटेगरी में बांटा
तीन केटेगरी में जो घोटाला किया गया, वह इस तरह से है। ईडी के पार्ट ए में - छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य के निकाय) की ओर से शराब की प्रत्येक पेटी के लिए डिस्टलर्स से रिश्वत ली गई थी। इस पार्ट में सीएसएमसीएल के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को अपने पसंद के डिस्टिलरी की शराब को परमिट करना था। जो रिश्वत-कमीशन को लेकर सिंडीकेट का हिस्सा हो गए थे।
पार्ट बी के मुताबिक - सरकारी शराब दुकान के जरिए बेहिसाब कच्ची और देशी शराब की अवैध बिक्री की गई। उक्त बिक्री नकली होलोग्राम से हुई, जिससे राज्य के खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी राशि सिंडीकेट की कट की जेब में पहुंची। पार्ट सी काटेल बनाने और बाजार में
पार्ट सी के मुताबिक - निश्चित हिस्सेदारी रखने की अनुमति देने के लिए डिस्टलर्स से रिश्वत ली गई और एफएल 10 ए लाइसेंस धारक, जो विदेशी शराब उपलब्ध कराते थे, उनसे भी कमीशन लिया गया।
पसंदीदा अफसरों की कराता था नियुक्ति
ईडी के मुताबिक, आईएएस अनिल टुटेजा के साथ मिलकर सिंडीकेट ऑपरेट कर रहा था ढेबर ईडी ने बयान से करने रिमांड पर लिया है। अनवर तथा एपी पूछताछ के आधार पर जारी कर दावा किया है कि अनवर ढेबर ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा के साथ मिलकर सिंडीकेट बनाया था। अनिल टुटेजा विभाग में अपने पसंदीदा अफसरों की नियुक्ति कराता था।
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