सैलरी और पेंशन दोनों ले रहे थे पूर्व कुलपति... अब लौटाने होंगे 54 लाख रुपए

नियमों के तहत वेतन अथवा पेंशन में से किसी एक का लाभ लेना था लेकिन पूर्व कुलपति बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पेंशन और संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय से वेतन लेते रहे।

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Kanak Durga Jha
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former vice chancellor both salary pension now return 54 lakh rupees
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संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय अंबिकापुर के पूर्व कुलपति प्रो. अशोक सिंह पर वेतन और पेंशन दोनों लेने का गंभीर आरोप लगा है। विश्वविद्यालय प्रबंधन का दावा है कि नियमों के विरुद्ध उन्हें दोनों लाभ मिलते रहे, जिससे 54 लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान हो गया। मामले की जानकारी मार्च 2025 में सामने आई थी, जब वर्तमान कुलसचिव प्रो. एसपी त्रिपाठी ने कार्यप्रणाली की जांच शुरू की। इसके बाद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पुष्टि की गई कि प्रो. सिंह पेंशन भी ले रहे थे।

प्रो. सिंह का कहना है कि उन्हें बदनाम करने की साजिश की जा रही है और इन आरोपों में सच्चाई नहीं है। उधर, प्रबंधन का कहना है कि नियमों के अनुसार किसी एक लाभ का ही चुनाव करना चाहिए था। नोटिस भेजा गया, लेकिन उसे रिसीव नहीं किया गया। मामले की कानूनी प्रक्रिया अब तेज की जा रही है।


पेंशन और वेतन दोनों का लाभ ले रहे थे पूर्व कुलपति प्रो. अशोक सिंह

नियमों के तहत वेतन अथवा पेंशन में से किसी एक का लाभ उन्हें लेना था लेकिन वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पेंशन और संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय से वेतन लेते रहे। यहां उनका कुल वेतन दो लाख 10 हजार रुपये था। यदि वे पेंशन ले रहे थे तो यहां पेंशन की राशि कटौती कर वेतन भुगतान होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

वे तीन अगस्त 2021 से 19 अक्टूबर 2024 तक कुलपति के पद पर पदस्थ रहे। पेंशन और वेतन दोनों के चक्कर मे उन्हें 54 लाख का अधिक भुगतान हो गया। मार्च 2025 में ही यह प्रकरण सामने आ गया था। संत गहिरा गुरु विश्विद्यालय प्रबंधन ने उन्हें रकम जमा कर देने के लिए उनके सेवा पुस्तिका के पते पर नोटिस भेजा जो वापस लौट आया है। किसी ने भी रजिस्टर्ड पत्र को स्वीकार ही नहीं किया।

दोहरी सुविधा का आरोप- संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अशोक सिंह पर वेतन और पेंशन दोनों लेने का आरोप।

54 लाख का अधिक भुगतान- प्रबंधन का दावा है कि उन्हें 54 लाख रुपये का अतिरिक्त भुगतान हो गया।

नोटिस भेजा, पर लौटा- विश्वविद्यालय ने वसूली के लिए नोटिस भेजा, पर पत्र रिसीव नहीं किया गया।

जिम्मेदारी तय नहीं हुई- तत्कालीन कुलसचिव और वित्त अधिकारी ने नियमों की अनदेखी की।

धारा 52 के तहत हटाए गए थे- भाजपा शासन में उन्हें पद से हटाया गया, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हुई थी नियुक्ति।

 

तत्कालीन कुलसचिव और वित्त अधिकारी ने नहीं दिया ध्यान

सेवानिवृत्ति के बाद कुलपति नियुक्त हुए प्रो अशोक सिंह को वेतन भुगतान के लिए तत्कालीन वित्त अधिकारी और कुलसचिव को नियमों को ध्यान में रखना था। तत्कालीन कुलसचिव और वित्त अधिकारी को भी स्वयं पहल कर कुलपति से यह जानकारी लेनी चाहिए थी कि कहीं उन्हें शासन स्तर से हर महीने राशि (पेंशन) तो नहीं मिलती है, लेकिन तत्कालीन कुलसचिव और वित्त अधिकारी ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।

बीएचयू के पत्र से दोहरा लाभ हुआ उजागर संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलसचिव प्रो एसपी त्रिपाठी ने नियम प्रक्रियाओं के तहत कामकाज को व्यवस्थित कराने की पहल शुरू की तो प्रबंधन की ओर से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को भी पत्र भेजा गया।

इस पत्र के माध्यम से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने स्पष्ट कर दिया कि प्रो अशोक सिंह वहां से भी पेंशन ले रहे हैं। बकायदा पेंशन भुगतान आदेश भी प्रेषित कर दिया तब संत गहिरा गुरु विश्विद्यालय प्रबंधन ने तत्कालीन कुलपति को भुगतान की गई अतिरिक्त राशि की गणना की तो वह 54 लाख से अधिक हुई। पहले मौखिक रूप से राशि वापस कर देने को लेकर चर्चा हुई। अब बकायदा लिखित रूप से पत्राचार किया जा रहा है।

धारा 52 के तहत हटाए गए थे प्रो अशोक सिंह

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रो अशोक सिंह को पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में संत गहिरा गुरु विश्विद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था। छत्तीसगढ़ में भाजपा के सत्तासीन होने के बाद धारा 52 के तहत उन्हें पद से हटा दिया गया था। उनके कामकाज के तरीके को सही नहीं माना गया था। वे दूसरे कुलपति थे जिन्हें धारा 52 के तहत हटाया गया है।

FAQ

प्रो अशोक सिंह पर किस प्रकार का आरोप है?
वे एक साथ वेतन और पेंशन लेने के आरोपी हैं।
कितनी राशि का अधिक भुगतान हुआ?
लगभग 54 लाख 3 हजार रुपए का अतिरिक्त भुगतान हुआ।
किस विश्वविद्यालय से उन्हें पेंशन मिल रही थी?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से।
प्रबंधन ने क्या कार्रवाई की?
नोटिस भेजा गया, पेंशन प्रमाण पत्र के बाद राशि वसूली की प्रक्रिया शुरू की गई।
प्रो अशोक सिंह को क्यों हटाया गया था?
भाजपा शासनकाल में धारा 52 के तहत उन्हें हटाया गया था।

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