बारिश में चार लाख क्विंटल धान खराब, मोदी की गारंटी पूरी करने कर्ज की दरकार

छत्तीसगढ़ में भारी बारिश और सरकार के पास गोदामों की कमी के कारण भारी नुकसान हो गया है। हैरानी की बात है कि धान के कटोरे में ही धान सड़ रहा है।

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Arun tiwari
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Four lakh quintals of paddy wasted in the rain
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छत्तीसगढ़ में भारी बारिश और सरकार के पास गोदामों की कमी के कारण भारी नुकसान हो गया है। हैरानी की बात है कि धान के कटोरे में ही धान सड़ रहा है। प्रदेश में गरीबों का राशन मुख्य रुप से धान है। यही धान बारिश में सड़ गई है। सरकार के पास भंडारण गृहों की कमी है। यही कारण है कि सितंबर की स्थिति में चार लाख क्विंटल से ज्यादा धान खरीदी केंद्रों पर ही पड़ी है। धान का उत्पादन सरकार की उम्मीदों से कहीं ज्यादा हो गया।

धान के बंपर उत्पादन के कारण सरकार की तैयारी धरी की धरी रह गई। नतीजा ये निकला की 150 करोड़ की धान बारिश में सड़ गई। वहीं दूसरी ओर सरकार नवंबर से शुरु होने वाली धान खरीदी 3100 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदने वाली है,क्योंकि ये मोदी की गारंटी में शामिल है। अब इस खरीदी के लिए सरकार के पास पैसे नहीं हैं। सरकार को धान खरीदी के लिए अब कर्ज की दरकार है।  


बारिश में सड़ी 4 लाख क्विंटल धान


खरीफ की फसल धान की खरीदी हर साल नवंबर में शुरु हो जाती है। साल 2023_24 में नवंबर में धान की खरीदी शुरु हुई। बघेल सरकार में धान की खरीदी शुरु हुई थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव हुए और सरकार बदल गई। दिसंबर में बीजेपी की विष्णुदेव साय की सरकार बन गई। अब धान खरीदी का जिम्मा बीजेपी सरकार पर आ गया। इस सीजन में धान का बंपर उत्पादन हुआ। इस दौरान छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे ज्यादा धान का उत्पादन हुआ।

इस समय समर्थन मूल्य पर अब तक की सर्वाधिक 144 लाख 92 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई। जो अनुमानित मात्रा 130 लाख मीट्रिक टन से 15 लाख मीट्रिक टन अधिक थी। यही कारण रहा कि सरकार की सारी तैयारी धरी की धरी रह गई। राज्य सरकार की धान की इस मात्रा के भंडारण, मिलिंग और चावल के उपार्जन और भंडारण की कोई कार्ययोजना काम नहीं आई। इसका नतीजा ये निकला कि प्रदेश में सितंबर के पहले की स्थिति में धान खरीदी केन्द्रों से 4 लाख 16 हजार 410 क्विंटल धान का उठाव नहीं किया जा सका है। इस धान की कुल लागत 166 करोड़ 56 लाख रुपए होती है। 


इन जिलों में इतना खराब हुआ धान


_ मुंगेली में 26 करोड़ का 65154 क्विंटल 
_ कबीरधाम में 16 करोड़ का 39744 क्विंटल
_ बिलासपुर में 15 करोड़ का 36310 क्विंटल
_ बालोद में 10 करोड़ का 25723 क्विंटल
_ बेमेतरा में 11 करोड़ 26436 क्विंटल
_ बलौदाबाजार में 19 करोड़ का 46332 क्विंटल
_ खैरागढ़ में 6 करोड़ का 15108 क्विंटल
_ जशपुर में 7 करोड़ का 16464 क्विंटल
_ कोरिया में 5 करोड़ का 11705 क्विंटल
_ कांकेर में 19 करोड़ का 47113 क्विंटल
_ बीजापुर में 6 करोड़ का 13988 क्विंटल
_ कोंडागांव में 6 करोड़ का 12992 क्विंटल


धान खरीदने कर्ज की दरकार


अब सरकार साल 2024_25 की धान खरीदी की तैयारी कर रही है। राज्य के स्थापना दिवस 1 नवंबर से धान की खरीदी शुरु होगी। इस बार ये उत्पादन 160 मीट्रिक टन तक जा सकता है। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के समय अपने मेनीफेस्टो में 3100 रुपए प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का वादा किया था।

यह वादा मोदी की गारंटी बताया गया था। सरकार के पास धान खरीदी के पैसे नहीं हैं। ऐसे में मोदी की गारंटी पूरी करने के लिए सरकार 37 हजार करोड़ का लोन लेने जा रही है। लेकिन सवाल ये है कि धान के कटोरे में ही धान की कद्र नहीं हो रही। और गरीबों का राशन सड़ रहा है। जब सरकार पिछला धान ही सड़ने से नहीं बचा पाई तो इससे ज्यादा होने वाला अगले उत्पादन का इंतजाम कैसे करेगी। या इसी तरह गरीबों का राशन सड़ता रहेगा।

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