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छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन यानी सीजीएमएससी द्वारा खरीदी गई दवाएं लगातार क्यों फेल हो रही है। "द सूत्र" आज इसका खुलासा करने जा रहा है। दरअसल यह ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि दवा, इंजेक्शन सहित अन्य संसाधनों की खरीदी में विशेषज्ञों को जानबूझकर दूर रखा जा रहा है।
ताकि वरिष्ठ पदों पर बैठे अधिकारी अपनी मनमानी कर सके। इनकी कार्य प्रणाली से तंग आकर के कई अधिकारी CGMSC से जा चुके हैं। तो कुछ नहीं हाल ही में शासन को आवेदन देकर अपनी मूल प्रति नियुक्ति पर वापस जाने का निवेदन किया है। इन्होंने अपने आवेदन में शासन को बताया है कि क्योंकि इन्हें इनकी योग्यता के अनुरूप काम नहीं कराया जा रहा इसलिए इन्हें इनके मूल पद स्थापना में वापस भेजा जाए।
एमडी मेडिसिन सहित तीन अधिकारियों ने लिखा पत्र
सीजी एमएससी में दवाओ के विशेषज्ञ डॉक्टर की आवश्यकता इसलिए होती है, क्योंकि वह यह बता सके कि किस मौसम में कौन सी दवा की खपत अधिक होगी। साथ में किस मौसम के कौन सी दवा की आवश्यकता और उपयोगिता होगी। वह इस बात की भी पुष्टि करता है कि कौन सी दवा किस स्तर पर यूज होता है।
इसी तरह लैब टेक्नोलॉजिस्ट यह अच्छे से जान सकता है कि किस दवा में रसायनों की कितनी मात्रा लिखी और होनी चाहिए। जिससे मरीजों को अच्छे क्वालिटी की दवा मिल सके। बायोमेडिकल इंजीनियर का भी काम दावों के गुणवत्ता से संबंधित होता है। उसके बावजूद इन्हें इनके तकनीकी कम से हटकर वेयरहाउस में ट्यूबलाइट, गढ्ढे के मेंटेनेंस, निर्माण कार्य और क्लर्क जैसे कामों में लगाया जा रहा है।
500 करोड़ से अधिक का बजट
दरअसल सारा खेल लगभग 500 करोड़ के बजट का है। जिससे हर साल दवा, इंजेक्शन और उपकरण की खरीदी होती है। बताया जाता है कि परचेस टीम में वही शामिल होते हैं जो वरिष्ठ पदों पर बैठे लोगों के केवल आदेश का पालन कर सकें। सवाल जवाब करने वालों की परचेस टीम से बाहर कर दिया जाता है। भले ही वे विशेषज्ञ ही क्यों न हों।
पहले भी कई लोग छोड़कर जा चुके
सीजी एमएससी के स्थापना के बाद से ही कई अधिकारी ऐसे थे जिन्होंने अपने उपयोगिता के आधार पर काम न मिलने के कारण या तो पद से इस्तीफा देकर दूसरे राज्य चले गए या उन्होंने अपने मूल विभाग का रुख कर लिया। हाल ही में एक आईएएस अधिकारी सीजी एमएससी के मनमानी से परेशान होकर यहां से ट्रांसफर करवा लिया था आल्हा किसके पुत्र सबूत नहीं मिले थे लेकिन अब तीन अधिकारियों ने शासन को स्पष्ट लिखकर सीजी एमएससी से हटाए जाने की मांग की है।
लगातार हो रही दवा खरीदी में गड़बड़ी
सीजी एमएससी में अधिकारियों के मनमानी का इस बात से भी अंदाज लगाया जा सकता है कि यहां की खरीदी दवाइयां में लगातार गड़बड़ी की पुष्टि हो रही है।पीछे एक महीने में ही प्रेगनेंसी किट, मिर्गी की दवा और उसके बाद सर्जिकल सीजर को हॉस्पिटलों तक पहुंचाने के बाद जब इसकी शिकायत मिली तो सीजीएमएससी को इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाना पड़ा।
प्रतिबंध लगाने के बाद जांच नहीं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले 1 साल में 25 से ज्यादा दवाएं जिसे सीजीएमएससी ने खरीदा था। वह खराब क्वालिटी की निकली। जिसमें बेसिक दवाई पेरासिटामोल तक शामिल है। लेकिन उसके बाद भी ये दवाएं कैसे खरीदी और सप्लाई हुई, इसकी जांच आजतक नहीं की गई है।
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