DA Hike :50% कर दिया महंगाई भत्ता, फिर भी कर्मचारी नाराज, करेंगे हड़ताल
DA Salary Hike 50 Percent : छत्तीसगढ़ में सीएम विष्णुदेव साय सरकार ने महंगाई भत्ता 4 फीसदी बढ़ा दिया है। अब यह 50 फीसदी पर पहुंच गया है। इसके बाद भी सरकारी कर्मचारी नाराज हैं।
DA Salary Hike 50 Percent :छत्तीसगढ़ में सीएम विष्णुदेव साय सरकार ने महंगाई भत्ता 4 फीसदी बढ़ा दिया है। अब यह 50 फीसदी पर पहुंच गया है। इसके बाद भी सरकारी कर्मचारी नाराज हैं। उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दी है। प्रदेशभर के सरकारी कर्मचारियों ने 24 अक्टूबर को हड़ताल की घोषणा कर दी है। साय सरकार द्वारा महंगाई भत्ता बढ़ाए जाने के बाद भी सरकारी कर्मचारी नाराज क्यों हैं, आइए आपको बताते हैं विस्तार से।
ये है कर्मचारियों की नाराजगी की वजह
शिक्षक संघर्ष मोर्चा का कहना है कि 4% DA बढ़ाने के निर्णय को 1 जनवरी 2024 से लागू किया जाना चाहिए था। इसके एरियर का भुगतान किया जाना चाहिए था। इसके साथ ही सरकार ने 5 साल के देय तिथि से महंगाई भत्ते के एरियर्स राशि के संबंध में अब तक कोई नया निर्देश नहीं दिया। इसके चलते कर्मचारियों में नाराजगी है। शिक्षक मोर्चा का कहना है कि पूर्व सेवा गणना मिशन के तहत मोदी की गारंटी को लागू करने की मांग लेकर उनकी हड़ताल जारी रहेगी। इस मुद्दे पर शिक्षक 24 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश लेकर हड़ताल करेंगे।
जानिए क्या है महंगाई भत्ता और सरकारी कर्मचारियों को क्यों मिलता है
FAQ
महंगाई भत्ता (DA) क्या है?
महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) एक ऐसा भत्ता है जो सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उनकी आय के साथ दिया जाता है ताकि उन्हें महंगाई के बढ़ते प्रभाव से राहत मिल सके। इसका उद्देश्य कर्मचारियों की क्रय शक्ति को बनाए रखना है, क्योंकि बढ़ती महंगाई के साथ उनके जीवन यापन की लागत भी बढ़ जाती है।
महंगाई भत्ता कैसे तय किया जाता है?
महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों के लिए एक प्रतिशत के रूप में दिया जाता है और यह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर तय किया जाता है। जब महंगाई बढ़ती है, तो इस भत्ते की राशि भी बढ़ाई जाती है ताकि कर्मचारियों के वेतन पर बढ़ती कीमतों का असर कम हो सके। यह हर छह महीने में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संशोधित किया जाता है।
महंगाई भत्ता किसे मिलता है और इसका लाभ क्यों दिया जाता है?
महंगाई भत्ता केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों, पेंशनभोगियों, और सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) के कर्मचारियों को मिलता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि बढ़ती महंगाई के कारण उनके जीवन यापन की लागत पर अधिक भार न पड़े, और उनकी वास्तविक आय स्थिर बनी रहे।