सरकार ने लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए 15 दिनों तक प्रशासन को उनकी सेवा में लगा दिया। ये फरमान भी सुना दिया गया कि समस्याओं का निराकरण तत्काल होना चाहिए। 27 जुलाई से 10 अगस्त तक ये जनसमस्या निवारण पखवाड़ा चला। इस एक पखवाड़े में सरकार के पास शिकायतों का अंबार लग गया। इन 15 दिनों में करीब सवा लाख शिकायतें प्रशासन के पास पहुंची। हैरानी की बात है कि इनमें सबसे ज्यादा समस्याएं बहुत ही छोटी थीं। लोग आवारा कुत्तों से परेशान हैं, स्ट्रीट लाइट बंद पड़ी है और राशन कार्ड बन नहीं रहा। सबसे ज्यादा यही समस्याएं लोगों के आवेदन में थीं। द सूत्र ने इन 15 दिनों तक चले अभियान में किस तरह के आवेदन और कितनी समस्याएं दूर हुईं, इसकी पड़ताल की। आइए आपको दिखाते हैं कि आखिर इस पड़ताल में क्या निकल कर सामने आया।
सवा लाख समस्याएं, महज 45 हजार का निपटारा
आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव होने वाले हैं। यह चुनाव नई सरकार के लिए लिटमस टेस्ट माने जा रहे हैं। यह चुनाव जब होंगे तब तक विष्णुदेव साय की सरकार को 1 साल हो जाएगा। नई सरकार के कामकाज के आंकलन के लिए एक साल का वक्त पर्याप्त माना जा सकता है। इस एक साल से सरकार की दिशा तो पता चल ही जाती है। प्रदेश के लोग सरकार के काम के आधार पर ही वोट डालेंगे। ऐसे में सरकार के लिए ये चुनाव जीतना नाक का सवाल बन गया है। सरकार ने लोगों का दिल जीतने के लिए समस्या निवारण पखवाड़ा चलाया। यह पखवाड़ा 27 जुलाई से 10 अगस्त तक प्रदेश के सभी 184 नगरीय निकायों में चलाया गया। लोगों की छोटी छोटी समस्याएं तत्काल सुलझाने के लिए अफसरों को हर वॉर्ड में भेजा। इन 15 दिनों में सरकार को 1 लाख 12 हजार आवेदन मिले। इन आवेदनों की संख्या से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग किस कदर अपनी बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। ये वे समस्याएं हैं जो तत्काल हल की जा सकती हैं। लेकिन विष्णु सरकार के अफसर इनमें से महज 45 हजार समस्याएं ही मौके पर हल कर पाए।
इन समस्याओं की इतनी संख्या
_ बिजली, स्ट्रीट लाइट, मवेशी, आवारा कुत्तों, अतिक्रमण, अवैध निर्माण, सड़क से संबंधित 25 हजार आवेदन मिले जिनमें से दस हजार आवेदनों पर तत्काल कार्यवाही की गई। बाकी फाइल में बंद हो गए।
_ प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित 15 हजार 700 आवेदन मिले जिनमें से 1200 का ही निपटारा हुआ।
_ पेयजल समस्या से जुड़े 4500 आवेदनों में से 700 का ही शिविर में समाधान किया गया।
_ राशन कार्ड से संबंधित 19 हजार 500 आवेदनों में से दस हजार ही मौके पर हल किए गए।
_ सड़क व नाली मरम्मत और निर्माण कार्य से जुड़े 14 हजार 500 आवेदनों में से 600 आवेदनों को ही तत्काल स्वीकृत किया गया।
_ कचरा उठाने को लेकर 1500 आवेदन आए जिनमें से 700 को ही निपटाया गया।
_ सामाजिक सुरक्षा पेंशन संबंधी प्राप्त 1950 आवेदनों में से निकाय स्तर के 550 आवेदनों को तत्काल हल किया गया।
_ नए भवनों के संपत्ति कर और संपत्ति निर्धारण संबंधी शिकायतों के निराकरण के साथ ही इनसे संबंधित 600 आवेदनों में से 350 को मौके पर ही निपटाया गया।
प्रशासन पर उठे सवाल
1 लाख 12 हजार आवेदनों में से 45 हजार का तत्काल निपटारा कर प्रशासन भले ही अपनी पीठ थपथपा रहा हो लेकिन क्या ये गति कुछ कम नहीं है। एक तरफ तो विष्णु सरकार सुशासन का मॉडल खड़ा कर निकाय चुनाव में नई छवि के साथ जाना चाहती है तो दूसरी तरफ प्रशासन सरकार की साख पर बट्टा लगा रहा है। पहली बात तो इस तरह की समस्याएं होनी ही नहीं चाहिए, यदि हो गई हैं तो तत्काल निराकरण होना चाहिए। लेकिन लोग इन छोटी_छोटी समस्याओं से जूझने को मजबूर हैं। मानाकि समस्याओं का कोई अंत नहीं है लेकिन कम से कम एक समय सीमा में उनको दूर तो किया ही जा सकता है। यदि समस्याओं को दूर करने का यही हाल रहा तो निकाय चुनाव में बीजेपी को बड़ी मुश्किल हो सकती है।