नक्सली खात्मे के लिए प्लान बी पर काम कर रही सरकार, ऑपरेशन से पहले एसआईए की बड़ी योजना

नक्सलियों के कोर इलाके में यह काम शुरु भी हो चुका है। सरकार को लगता है कि इस प्लान पर काम पूरा हो गया तो प्लान ए पर काम करने की आवश्यकता कम रहेगी। आइए आपको बताते हैं कि क्या है सरकार का प्लान बी। 

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Sandeep Kumar
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अरुण तिवारी @ RAIPUR.छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद ( naksalavaad ) खत्म करने के लिए बड़ी योजना पर काम हो रहा है। एनआईए (  NIA) की तर्ज पर गठित की गई एसआईए (SIA) ने अपना वर्किंग प्लान तैयार कर लिया है। सरकार नक्सलियों के लिए दो प्लान पर काम कर रही है। प्लान ए और प्लान बी। एसआईए ( SIA) ने प्लान ए से पहले प्लान बी पर अमल करना शुरु किया है। इस पर सरकार की भी सहमति है। नक्सलियों के कोर इलाके में यह काम शुरु भी हो चुका है। सरकार को लगता है कि इस प्लान पर काम पूरा हो गया तो प्लान ए पर काम करने की आवश्यकता कम रहेगी। आइए आपको बताते हैं कि क्या है सरकार का प्लान बी। 

प्लान बी से नक्सली खात्मा

आइए सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि प्लान बी आखिर है क्या। नक्सलियों से निपटने और उनके खात्मे के लिए सरकार ने प्लान एऔर प्लान बी तैयार किया है। प्लान ए के तहत नक्सलियों की गोली का जवाब गोली से दिया जाएगा। यानी बड़े ऑपरेशन कर नक्सलियों को उनके अंजाम तक पहुंचाना है। इसके लिए एसआईए सीमावर्ती राज्यों के साथ मिलकर बड़े ऑपरेशन की तैयारी कर रही है। लेकिन प्लान ए पर अमल करने से पहले सरकार प्लान बी पर काम कर रही है। प्लान बी के तहत सरकार का फोकस नक्सलियों के सरेंडर और नक्सली इलाकों में विकास पर है। सरकार ने नक्सलियों के कोर एरिया में सबसे पहले सड़कों का जाल बिछाने की तैयारी कर ली है। कई सड़कों पर काम शुरु भी हो चुका है। एसआईए ने 85 सड़कों को चिन्हित कर 250 किलोमीटर का पूरा प्लान बनाया है। सरकार का पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग एसआईए के साथ मिलकर काम कर रहा है। केंद्र सरकार से भी इसके लिए फंड मांगा जा रहा है। सरकार कहती है कि वे हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं। इसका हल यदि विकास और बातचीत से निकलता है तो इससे बेहतर कुछ नहीं है। 

प्लान बी पर इस तरह होगा काम 

नई सरकार बनने के साथ ही इस प्लान पर काम शुरु हो गया है। एसआईए के गठन के बाद इस पर और तेजी से काम हो रहा है। सरकार को लगता है कि यदि नक्सलियों के कोर एरिया में सड़कें बन गईं तो आधा काम आसान हो जाएगा। इसीलिए विकास के पहले दौर में इन इलाकों में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। दुर्गम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 85 सड़कें बनाने के लिए चिन्हित की गई हैं। इनमें 40 सड़कें बननी शुरु हो चुकी हैं और 11 सड़कों पर काम लगभग पूरा हो गया है। ये वो सड़कें हैं जो आजादी के बाद पहली बार बन रही हैं। इन सड़कों को संगीनों के साए में बनाया जा रहा है। पिछले 5 सालों में इन सड़कों का निर्माण रुका हुआ था। पहली बार पुलिस और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मिलकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़कों के निर्माण कार्य कर रहे हैं। अब तक कुल 85 सड़कों को चिन्हित किया गया है, जिसमें से 259.90 किलोमीटर की 40 सड़कों का निर्माण प्रगति पर है। यह सभी सड़कें दुर्गम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हैं। यह विकास की रफ्तार गांव तक पहुंचाने की कोशिश है। अबूझमाड़ जैसे दुर्गम क्षेत्र जहां आजादी के बाद आज तक शासन नहीं पहुंच पाया वहां सर्वे करके केंद्र सरकार की जनमन योजना के तहत 09 सड़क स्वीकृत की गई हैं,  जिनमें 04 का निर्माण शुरु हो चुका है। साथ ही 06 और सड़कों का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है।

अब तक 415 ने किया सरेंडर 

गृहमंत्री विजय शर्मा कहते हैं कि वे चाहते हैं कि नक्सली सरेंडर करें। सरकार उनके पुनर्वास की भी चिंता कर रही है। उन्होंने कहा कि नई सरकार बनने के बाद  पुलिस एनकाउंटर में 122 नक्सली मारे गए। 415 नक्लसियों ने आत्मसमर्पण किया है, गिरफ्तार 423 हैं। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए  गृहमंत्री ने कहा कि मैं उस शुभ दिन की प्रतीक्षा में हूं जिस दिन आत्मसमर्पण की संख्या ज्यादा होगी, गिरफ्तारियों से। आत्मसमर्पण के माध्यम से पुनर्वास के माध्यम से नक्सल समस्या का समाधान होना चाहिए। द सूत्र से बातचीत में उन्होंने कहा कि मैं स्पष्टता के साथ कहना चाहता हूं कि विभिन्न आयामों में एक साथ नक्सल समस्या खत्म हो इसपर काम चल रहा है।

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