अब राज्यपाल को लेना होगा लंबित विधेयकों पर फैसला, सुप्रीम कोर्ट का आदेश

छत्तीसगढ़ में अब तक पांच विधानसभाओं का गठन हो चुका है। 25 सालों में पारित कुल विधेयकों में से वर्तमान में 9 विधेयक राजभवन और राष्ट्रपति भवन में मंजूरी को पड़े हुए हैं।

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Kanak Durga Jha
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Governor take decision pending bills Supreme Courts order the sootr
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छत्तीसगढ़ में अब तक पांच विधानसभाओं का गठन हो चुका है। 25 सालों में पारित कुल विधेयकों में से वर्तमान में 9 विधेयक राजभवन और राष्ट्रपति भवन में मंजूरी को पड़े हुए हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद अब इन विधेयकों पर राष्ट्रपति और राज्यपाल रमेन डेका को अंतिम फैसला करना ही होगा। विधि - विशेषज्ञों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सरकार को अलग से आदेश पारित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। राज्यपाल को लंबित विधेयकों पर निर्णय लेना होगा। 

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सुप्रीम कोर्ट ने किया है फैसला

सुप्रीम कोर्ट की यह रूलिंग राष्ट्रपति पर भी लागू होगी। उन्हें ये 9 विधेयक मंजूर करने या लौटाने होंगे। जानकारों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार चाहे तो रिव्यू पिटीशन में जा सकती है। हालांकि इसकी संभावना बहुत कम है। प्रदेश में कांग्रेस शासन काल के समय पारित आरक्षण और कुलाधिपति के अधिकार कटौती के विधेयक भी अब तक रुके हैं। 

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जानकारों के अनुसार यह विधेयक लौटाए जाने या मंजूरी देने दोनों ही तरह से विपक्ष को फायदा हो सकता है। वह इसे बड़े राजनीतिक आंदोलन के रूप में खड़ा कर सकती है। इनमें आरक्षण और कुलपति तथा नाम परिवर्तन वाले विधेयक काफी संवेदनशील माने जा रहे हैं।

केंद्रीय कृषि कानून से संबंधित राज्य के अनुरूप पारित तीन संशोधन विधेयक भी हैं जो केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के बाद लाए गए थे। हालांकि केंद्र सरकार ने उन कृषि कानूनों को वापस ले लिया था। तब तत्कालीन राज्यपाल अनुसूइया उइके ने भास्कर से कहा था कि अब प्रदेश के इन तीन संशोधित विधेयकों का कोई औचित्य नहीं, क्योंकि केंद्र सरकार ने नए कानून ही वापस ले लिए हैं।

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अब भी समय सीमा तय नहीं

एक वरिष्ठ आईएएस का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश में भी राज्यपालों के लिए समय सीमा तय नहीं की है। हालांकि यह जरूर है कि किसी विधेयक को राज्यपाल रोकते हैं तो उन्हें इसका कारण बताना ही होगा। संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक यदि विधानसभा से कोई विधेयक पारित कर राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजा जाता है, तो उसमें राज्यपाल कमी की तरफ ध्यान आकृष्ट कर या असहमति जताते हुए वापस लौटा सकते हैं।

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