छत्तीसगढ़ की सियासत में जो हो जाए वही कम है। इन दिनों सतनामी पर सियासत खूब गरमा रही है। अपने ही नेताओं पर गुरु की त्यौरी चढ़ गई हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि गुरु ने नेताजी को नासमझ कह दिया। वहीं नई सरकार पर पुराने साहब भारी पड़ रहे हैं। सरकार अपने फैसले भी लागू नहीं कर पा रही है। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों की ऐसी ही अनसुनी खबरों के लिए पढ़िए द सूत्र का साप्ताहिक कॉलम सिंहासन छत्तीसी।
सतनामी और सियासत
इन दिनों छत्तीसगढ़ में सतनामी समाज पर खूब सियासत हो रही है। कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी के बाद यह सियासत और तेज हो गई है। सतनामी समाज के गुरु भी सियासी हैं। एक बीजेपी के विधायक हैं तो दूसरे कांग्रेस के पूर्व मंत्री। सतनामी समाज के ही कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री ने समाज की गुरु परंपरा पर सवाल खड़े कर दिए। कांग्रेस नेता के इस बयान पर दोनों दलों के सतनामी समाज के गुरु एक हो गए। एक ने उनको दिमाग का इलाज कराने की सलाह दे दी तो दूसरे ने उनको नासमझ नेता बता दिया। अब यह पूर्व मंत्री अपने बयान पर सफाई देते हुए नजर आ रहे हैं।
सरकार पर भारी साहब
छत्तीसगढ़ की सियासत में साहब सरकार पर भारी पड़ रहे हैं। मंत्रालय में ई गवर्नेंस का मॉडल लागू हो गया लेकिन ई अटेंडेंस नहीं हो पा रही। नोट शीट ऑनलाइन होंगी लेकिन साहब की हाजिरी ऑनलाइन नहीं होगी। सरकार की मंशा है कि मंत्रालय के सारे अधिकारी_कर्मचारी ई अटेंडेंस करें। इसके लिए नया साफ्टवेयर भी तैयार कराया गया। लेकिन साहब हैं कि मानते ही नहीं। कुछ आईएएस अफसरों रजामंदी न होने के कारण मंत्रालय में बायोमेट्रिक मशीन नहीं लग पा रही। साहब को इस बात का डर है कि कहीं कोई आरटीआई में उनकी अटेंडेंस मांग लेगा तो उनकी पोल खुल जाएगी क्योंकि उनको तो समय दफ्तर जाते ही नहीं। इनके आगे सरकार बेचारी नजर आ रही है।
एसपी साहब का पंचायती कबूतर
15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के समारोह के मौके पर एक जिले में कलेक्टर और एसपी साहब ने सफेद कबूतर उड़ाए। कलेक्टर साहब का कबूतर तो फर्र से उड़ गया लेकिन एसपी साहब का कबूतर पंचायती निकला। पंचायती इसलिए क्योंकि हाल ही में पंचायत बेव सीरीज का तीसरा भाग रिलीज हुआ है। उसमें भी विधायक सफेद कबूतर उड़ाते हैँ और वो वहीं दम तोड़ देता है। एसपी साहब का काबूतर भी उड़ने की जगह गश खाकर वहीं गिर गया और उसने भी दम तोड़ दिया। अब ये तो गजबई बेइज्जती जैसे बात हो गई भाई। एसपी साहब ने कलेक्टर साहब को जांच के लिए पत्र लिखा और कलेक्टर साहब ने जांच बैठा दी। अब जांच टीम पता कर रही है कि आखिर कबूतर उड़ा क्यों नहीं।
सहकर्मी बने बॉस,करा रहे जी हुजूरी
ऐसा मामला सियासत में ही मुमकिन है। छत्तीसगढ़ सरकार ने राजस्व निरीक्षक को जोन कमिश्नर बना दिया। अब दिक्कत ये है कि राजस्व निरीक्षक का पद क्लास थ्री का है और एक जोन कमिश्नर के नीचे कई राजस्व निरीक्षक आते हैं। अब उनकी ही रैंक का व्यक्ति उनका बॉस बन गया तो राजस्व निरीक्षकों को तकलीफ तो होनी ही थी। तकलीफ और बढ़ गई जब साहब बनते ही सहकर्मी ने बॉसगिरी शुरु कर दी और उनसे जी हुजूरी कराने लगे। छत्तीसगढ़ में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है पिछली सरकार भी इस तरह के प्रयोग कर चुकी है। अब नई सरकार ने भी ऐसा करना शुरु कर दिया।
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