छत्तीसगढ़ सरकार ने हाफ बिजली बिल योजना में बदलाव किया है, लेकिन इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा। खासकर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को पहले की तरह बिजली बिल में 50 फीसदी की छूट मिलती रहेगी। प्रदेश के 45 लाख घरेलू उपभोक्ताओं में से करीब 31 लाख परिवार ऐसे हैं, जिनकी मासिक खपत 100 यूनिट या उससे कम है। सरकार का कहना है कि इन सभी परिवारों को हाफ बिजली बिल योजना का पहले जैसा ही लाभ मिलता रहेगा।
क्या बदला है?
पुरानी व्यवस्था के तहत 400 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को 200 यूनिट पर 50% की छूट मिलती थी। अब सरकार ने नियम को स्पष्ट और उपयोग आधारित बना दिया है। यानी 100 यूनिट तक की खपत करने वालों को ही 50% की छूट मिलेगी। यहां गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश के करीब 70 प्रतिशत परिवारों की मासिक खपत 100 यूनिट से कम है, इसलिए उनकी छूट जैसी पहले थी, वैसी ही बनी रहेगी।
सरल भाषा में कहें तो...
1. जो लोग पहले आधा बिजली बिल भरते थे, वे अब भी आधा ही भरेंगे।
2. योजना का मकसद बदलना नहीं, बल्कि इसे और सटीक बनाना है।
बीपीएल परिवारों को पूरा फायदा पहले जैसा
इन 31 लाख उपभोक्ताओं में से 15 लाख परिवार बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) हैं। इन परिवारों को अब भी 30 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलती रहेगी। 100 यूनिट तक बिल में आधी छूट दी जाएगी, जैसे लाभ पहले मिलते थे, वैसे ही मिलते रहेंगे। सरकार का कहना है कि बीपीएल परिवारों के लिए यह योजना जैसे की तैसी जारी रहेगी। कोई कटौती नहीं की जाएगी।
सोलर योजना से मिलेगी पूरी राहत
- राज्य सरकार ने बिजली के क्षेत्र में प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के तहत एक और बड़ा कदम उठाया है। इसका मकसद लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि वे बिजली के खर्च से हमेशा के लिए मुक्त हो सकें।
- इस योजना में 3 किलोवॉट या उससे ज्यादा क्षमता के सोलर पैनल लगवाने पर केंद्र सरकार से 78,000 रुपए की सब्सिडी मिलेगी। राज्य सरकार से 30,000 रुपए की मदद मिलेगी। इस तरह कुल 1,08,000 रुपए की सब्सिडी मिलेगी।
- वहीं, 2 किलोवॉट पैनल पर 75% यानी 90,000 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी। इतनी क्षमता के पैनल से हर महीने 200 यूनिट या उससे ज्यादा बिजली बन सकती है, जो किसी औसत परिवार की खपत से भी अधिक है। इसका मतलब यह है कि जो उपभोक्ता पहले हॉफ बिजली बिल योजना में थे, वे अब सोलर पैनल लगाकर पूरी तरह मुफ्त बिजली की ओर बढ़ सकते हैं।
सिर्फ बचत नहीं, कमाई भी होगी
अगर उपभोक्ता अपनी जरूरत से ज्यादा बिजली बनाते हैं, तो वे उसे ग्रिड में भेजकर पैसा कमा सकते हैं। यानी बिजली बिल भी बचेगा और कुछ पैसे की अतिरिक्त आमदनी भी होगी। पैनल की कुल लागत में से सिर्फ 25 प्रतिशत हिस्सा उपभोक्ता को खुद देना होगा या फिर वह बैंक से कम ब्याज पर ऋण ले सकता है। अनुमान है कि इस ऋण की मासिक किश्त करीब 800 होगी, जबकि आज के समय में औसतन 400 यूनिट बिजली का बिल 1000 रुपए या उससे ज्यादा आता है। इस तरह, हर महीने की बचत पक्की है।
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