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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राज्य की खराब सड़कों और उनसे होने वाले हादसों को लेकर सोमवार को सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट आदेश दिए कि रायपुर-बिलासपुर नेशनल हाइवे और बिलासपुर शहर की टूटी सड़कों की मरम्मत में अब और लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) को तुरंत कदम उठाने और अगली सुनवाई पर प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पेंड्रीडीह से नेहरू चौक तक की सड़क की दुर्दशा पर गंभीर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि इस सड़क पर जगह-जगह गड्ढे और क्रेक्स उभर आए हैं, जिससे लगातार हादसों का खतरा बना रहता है। इस पर नाराजगी जताते हुए मुख्य न्यायाधीश ने पीडब्ल्यूडी को निर्देश दिया कि सभी गड्ढों और दरारों को हर हाल में दुरुस्त किया जाए।
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि इस मामले की लगातार मानिटरिंग की जाएगी और अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी। गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने बदहाल सड़कों और आवारा मवेशियों के कारण बढ़ते हादसों पर पहले ही स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिकाओं को जोड़ा था और शासन से जवाब मांगा था। अदालत ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा था कि काम केवल कोर्ट के कहने पर ही क्यों होता है।
हाईवे पर हो रहा काम, रिपोर्ट कोर्ट में पेश
एनएचएआइ ने कोर्ट को बताया कि रायपुर से बिलासपुर के बीच 105.98 किमी लंबे नेशनल हाईवे पर दो कंपनियों को मरम्मत और रखरखाव का जिम्मा सौंपा गया है। रायपुर से सिमगा (48.58 किमी) तक एमएस पुंज लायड और सिमगा से पेंड्रीडीह (57.40 किमी) तक एमएस कन्हैयालाल अग्रवाल काम कर रही है।
अब तक किए गए कार्यों में 57.22 किमी तक घास और झाड़ियों की सफाई, 53.2 किमी सड़क की सफाई, 43 नए हेजर्ड मार्कर, 17,795 रिफ्लेक्टर स्टिकर, 14,658 रोड स्टड्स और 59 ट्रैफिक संकेतक लगाए गए हैं। 23 किमी पर रोड मार्किंग, 622 मीटर पर क्रैश बैरियर बदले गए और 1041 नई एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं। इसके अलावा 3.54 करोड़ की नई मरम्मत योजना का टेंडर भी स्वीकृत कर काम शुरू करने का आदेश जारी किया गया है।
बिलासपुर की टूटी सड़कों पर नाराज हुआ कोर्ट
कोर्ट में दाखिल शपथपत्र के अनुसार, पेंड्रीडीह चौक से नेहरू चौक (15.375 किमी) तक 2016 में बनी सीमेंट कंक्रीट रोड में बड़ी दरारें आ गई हैं। पीडब्ल्यूडी ने माना कि यदि सीधे इस पर डामर बिछाया गया तो वह भी दरारों के साथ टूट जाएगा। इसी कारण विभाग ने एनआइटी रायपुर, आइआइटी खड़गपुर, आइआइटी रुड़की और सीआरआरआइ नई दिल्ली जैसे संस्थानों को तकनीकी राय देने के लिए पत्र लिखा है।
फिलहाल एनआइटी रायपुर ने जांच और मरम्मत का तकनीकी-आर्थिक प्रस्ताव भेजा है, जबकि अन्य संस्थानों से जवाब आना बाकी है। कोर्ट ने नाराजगी जताई कि अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए और आदेश दिया कि पीडब्ल्यूडी सचिव तत्काल प्रभाव से सड़क मरम्मत कराए और अगली सुनवाई (04 सितंबर 2025) को रिपोर्ट पेश करे।
रतनपुर-सेन्दरी रोड पर भी ध्यान दें : कोर्ट
अमाइकस क्यूरी (न्याय मित्र) ने कोर्ट को बताया कि रतनपुर से सेन्दरी रोड पर कई ब्लैक स्पाट हैं और नालियों से निकलने वाला पानी सड़क पर बह रहा है, जिससे खतरा बढ़ गया है। इस पर कोर्ट ने एनएचएआइ से भी अलग शपथपत्र पेश करने का आदेश दिया।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने साफ कहा कि राज्य सरकार और एनएचएआइ दोनों को समयबद्ध तरीके से काम पूरा करना होगा। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि सड़कों की मरम्मत नहीं हुई तो हादसों की जिम्मेदारी संबंधित विभागों की होगी।
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