Chhattisgarh High Court canceled reservation in promotion
भोपाल. सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। प्रमोशन में आरक्षण ( reservation in promotion ) मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 2019 के राज्य सरकार के आदेश को पूरी तरह निरस्त कर दिया है। इससे पहले अदालत ने इस मामले पर रोक लगा दी थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बैंच ने पूरे केस की सुनवाई करने के बाद 5 मार्च को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
एससी को 13 और एसटी को 32 फीसदी आरक्षण
राज्य सरकार ने 22 अक्टूबर 2019 को प्रदेश में प्रमोशन पर आरक्षण के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। इस नोटिफिकेशन तहत प्रथम से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने की बात कही गई थी। इसमें अनुसूचित जाति को 13 फीसदी, जबकि अनुसूचित जन जाति के लिए 32 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
नियम बनाने में की गई गलती
नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया गया था कि यह आरक्षण प्रथम श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के उच्च वेतनमान के पदों पर पदोन्नति होने, द्वितीय श्रेणी के पदों से प्रथम श्रेणी के पदों पर पदोन्नति और तृतीय श्रेणी के पदों पर पदोन्नत होने पर दिया जाएगा। राज्य सरकार के इस अधिसूचना के खिलाफ रायपुर के एस. संतोष कुमार ने अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी। साथ ही अन्य याचिकाएं भी लगाई गई थीं। इनमें कहा गया कि पदोन्नति में आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के दिशा- निर्देशों और आरक्षण नियमों के खिलाफ है, इसलिए राज्य शासन द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन को निरस्त करने की मांग की गई। 2 दिसंबर 2019 को राज्य शासन की तरफ से स्वीकार किया गया कि अधिसूचना तैयार करने में गलती हुई है। कोर्ट ने इस गलती को सुधारने के लिए एक हफ्ते का समय दिया, पर कोई कार्रवाई नहीं की हुई। इसके बाद हाईकोर्ट ने अधिसूचना पर रोक लगाते हुए और सरकार को नियमों के अनुसार दो महीने के भीतर फिर से नियम बनाने को कहा।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निरस्त किया प्रमोशन में आरक्षण