रायपुर. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा है कि एक घर में पत्नी अलग कमरे में रह रही है, तो यह पति के साथ मानसिक क्रूरता है। दरअसल, शादी के बाद पत्नी अपने पति के चरित्र पर शक करती थी। इस बात को लेकर उसने शादी के बाद पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया। वह ससुराल में अलग कमरे में रहती थी।
पत्नी यह आरोप लगाती थी पति पर
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार अग्रवाल की बेंच के पास तलाक का केस आया था। इसमें युवक ने बताया था कि उसकी शादी 2021 में दुर्ग में हुई थी। युवक के अनुसार शादी के बाद पत्नी उसके चरित्र पर शक करती थी। इसे लेकर पत्नी ने शादी के बाद कह दिया कि वह पति के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाएगी, क्योंकि उसका किसी दूसरी महिला से संबंध है।
परिजनों की समझाइश के बाद भी कोई हल न निकला तो दोनों एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहने लगे। विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों की कई बार बैठक बुलाई गई। आखिर में कहा गया कि दोनों बेमेतरा में जाकर रहें।
सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर जनवरी 2022 से दोनों साथ रहने लगे, लेकिन युवक के मुताबिक पत्नी वहां भी अलग कमरे में सोती थी।
पत्नी साबित नहीं कर पाई कि सुहागरात में संबंध बने थे
मानसिक रूप से परेशान होकर पति ने तलाक लेने तय किया। फैमिली कोर्ट में केस जाने पर पत्नी ने पति के आरोपों से इनकार कर दिया।
पत्नी ने कोर्ट को बताया कि शादी की रात यानी सुहागरात में उनके शारीरिक संबंध बने थे, लेकिन उसे वो साबित नहीं कर पाई। पत्नी ने बताया कि उसने पति को कहा था कि ममेरी बहन के साथ उसका व्यवहार पसंद नहीं आया। हालांकि, वह यह नहीं बता सकी कि पति का उसकी ममेरी बहन के साथ कौनसा व्यवहार उसे पसंद नहीं आया।
भाभी के साथ संबंध का लगाती थी आरोप
कोर्ट में पति ने कहा कि भाभी के साथ भी संबंधों को लेकर पत्नी को शक था। पति ने कहा कि पत्नी उस पर बेवजह, बेबुनियाद आरोप लगाती थी। ऐसे आरोप किसी भी सभ्य व्यक्ति के लिए सहनीय नहीं हो सकते। दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट ने तलाक की अनुमति दे दी थी।
फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए पत्नी की अपील को खारिज कर दिया।