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छत्तीसगढ़ विधानसभा में पास हुआ नया भूमि संशोधन विधेयक अब प्रदेश में कृषि भूमि की रजिस्ट्री से जुड़े नियमों को सख्त कर देगा। विधानसभा में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा द्वारा प्रस्तुत किए गए 'छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक-2025' में यह साफ किया गया है कि अब 5 डिसमिल से कम कृषि भूमि की रजिस्ट्री नहीं होगी। यह नियम ग्रामीण क्षेत्रों में लागू होगा, जबकि शहरी क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया है।
इस फैसले से कम होगी अवैध प्लॉटिंग
राजस्व मंत्री ने बताया कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान यह प्रतिबंध हटाए गए थे, जिससे छोटे-छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री के जरिए अवैध प्लॉटिंग को बढ़ावा मिला। इससे गांवों में जमीनों के बंटवारे और सीमांकन में गड़बड़ियां बढ़ीं। अब सरकार ने धारा 70 में संशोधन कर इसे फिर से लागू किया है। शहरी क्षेत्रों में यह संशोधन लागू नहीं होगा क्योंकि शहर की भूमि पहले से ही कृषि की श्रेणी से बाहर होती है और वहां व्यवसायिक या आवासीय रजिस्ट्री होती है।
कृषि भूमि रजिस्ट्री पर रोक- अब 5 डिसमिल से कम कृषि भूमि की रजिस्ट्री नहीं होगी, जिससे अवैध प्लॉटिंग पर रोक लगेगी। शहरी क्षेत्रों को छूट- यह नियम केवल ग्रामीण क्षेत्रों में लागू होगा। शहरी क्षेत्रों में यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। जियो रिफेरेन्सिंग को कानूनी मान्यता- डिजिटल नक्शों को विधिक मान्यता दी गई है, जिससे सीमांकन और बंटवारे में पारदर्शिता बढ़ेगी। नामांतरण होगा स्वतः - विधेयक में प्रावधान है कि रजिस्ट्री के साथ ही स्वतः नामांतरण हो जाएगा, जिससे प्रक्रिया तेज और आसान होगी। सामूहिक भूमि अधिकार खरीदारों को - अब कॉलोनी में छोड़ी गई सामुदायिक जमीनें भी फ्लैट खरीदारों के नाम पर दर्ज होंगी, बिल्डर नहीं बेच पाएंगे। |
जियो रिफेरेन्सिंग तकनीक को कानूनी मान्यता
विधेयक के तहत जियो रिफेरेन्सिंग तकनीक को कानूनी मान्यता दी गई है। इसके अंतर्गत पूरे प्रदेश में डिजिटल नक्शे तैयार किए जा रहे हैं, जिससे सीमांकन, बंटवारा और नामांतरण जैसे विवाद खत्म होंगे। डिजिटल नक्शे अब कानूनी दस्तावेज माने जाएंगे, जो कोर्ट और प्रशासनिक कामों में मान्य होंगे।
विधेयक में एक और बड़ा प्रावधान यह जोड़ा गया है कि अब कॉलोनी या फ्लैट्स में रहने वाले खरीदारों के नाम पर गार्डन, रोड, मनोरंजन स्थल जैसी सामुदायिक जमीन भी बराबर हिस्सेदारी में दर्ज होगी। पहले बिल्डर इन जमीनों को अपने नाम पर रखकर बाद में बेच देते थे या अन्य निर्माण कर देते थे।
अब फ्लैट खरीदारों को उनके हिस्से के साथ सामूहिक सुविधाओं की जमीन का स्वामित्व भी मिलेगा। यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने और उपभोक्ताओं को अधिकार देने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
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