कांकेर शहर के रहने वाले एक रिटायर्ड टीचर ने 72 की उम्र में LLB की परीक्षा पास की है। सुभाष वार्ड निवासी एनएल पचबीये खंड शिक्षा अधिकारी पद से 2017 में सेवानिवृत्त हुए है। जिसके बाद उन्होंने फिर कॉलेज में एडमिशन लिया।
उन्होंने 1979 में अर्थशास्त्र विषय में एमए पास किया था उसके बाद अलग-अलग कुल 8 विषयों में एमए किया। 2025 में वे एलएलबी की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए है। पचबीये ने बताया कि वे अपने कार्यकाल के दौरान 6 विकास खंडों में खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत रहे।
अपने प्रोफेसर से प्रोत्साहित होकर शुरू की पढ़ाई
2017 में शासकीय सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद भानुप्रतापदेव शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांकेर के प्राध्यापक विजय कुमार रामटेके से प्रोत्साहित होकर 2022 में विधि संकाय में नियमित छात्र के रूप में प्रवेश लिया था।
आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, लेकिन हार नहीं मानी
पचबीये ने बताया कि शिक्षा के प्रति उनकी बचपन से ही रुचि थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। फिर भी बीड़ी बनाकर मजदूरी करके हायर सेकेंडरी तक की पढ़ाई पूरी की। अंग्रेजी माध्यम स्कूल के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की।
शिक्षा के प्रति आजीवन समर्पण- पचबीये ने 1979 में अर्थशास्त्र में MA किया, और उसी साल शिक्षक बने।
प्रोफेसर से प्रेरणा लेकर LLB की शुरुआत- सेवानिवृत्ति के बाद, 2022 में उन्होंने कानून की पढ़ाई शुरू की।
आर्थिक तंगी को नहीं बनने दिया बाधा- बीड़ी बनाकर और ट्यूशन पढ़ाकर की पढ़ाई पूरी।
एलएलबी भी पास की प्रथम श्रेणी में- 2025 में एलएलबी की परीक्षा को भी प्रथम श्रेणी में पास किया।
छह ब्लॉक में निभाई खंड शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी- अपने कार्यकाल में कांकेर, कोंडागांव और नारायणपुर के 6 विकासखंडों में बीईओ रहे।
8 विषयों में एमए पास
उन्होंने 1979 में अर्थशास्त्र विषय में एमए पास किया। उसी साल शिक्षक के पद पर उनकी नौकरी लगी और समय-समय पर पदोन्नति भी हुई। प्राचार्य पद पर रहते हुए उन्होंने समाजशास्त्र, लोकप्रशासन, राजनीति दर्शन, शास्त्र, मनोविज्ञान, लिंगविस्टीक और हिन्दी साहित्य सहित कुल 8 विषयों में एमए पास किया।
पचबीये कांकेर, कोंडागांव और नारायणपुर जिले के 6 विकास खंडों में खण्ड शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत रहे। इस सफलता पर उनके परिवार के सदस्यों और मित्रों ने उन्हें ढेर सारी बधाइयां दी हैं। पचबीये की यह उपलब्धि "सीखने-पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती" इस कहावत को सच साबित करती है।