DGP की दौड़ में आगे निकले अरुण देव गौतम, अशोक जुनेजा की जगह संभालेंगे प्रभार

छत्तीसगढ़ के वर्तमान डीजीपी अशोक जुनेजा 5 अगस्त 2024 को रिटायर हो रहे हैं। ऐसी में वरिष्ठता के आधार पर आईपीएस अफसर अरुण देव गौतम का नाम सबसे आगे है।

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Deeksha Nandini Mehra
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छत्तीसगढ़ के नए डीजीपी
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Chhattisgarh New DGP : छत्तीसगढ़ के वर्तमान डीजीपी अशोक जुनेजा (DGP Ashok Juneja) का कार्यकाल 5 अगस्त को खत्म हो रहा है। ऐसे में प्रदेश का नया डीजीपी  कौन होगा, इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है। फिलहाल तीन आईपीएस अफसरों के नामों की चर्चा है। इसमें सबसे आगे आईपीएस अफसर अरुण देव गौतम (Arun Dev Gautam) का नाम है। सूत्रों ने बताया कि फिलहाल डीजीपी बनने की दौड़ में अरुण देव गौतम सबसे आगे हैं। हालांकि इसको लेकर अभी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। 

ये अफसर भी दौड़ में शामिल 

1992 बैच के आईपीएस अफसर पवन देव और 1994 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता का नाम भी डीजीपी बनने की दौड़ में शामिल है।

बताया जा रहा है कि मुख्य रूप से गौतम और गुप्ता दो प्रमुख दावेदार हैं। वरिष्ठता को देखते हुए गौतम का नाम पहले नंबर पर लिया जा रहा है।

माना जा रहा है कि अरुण देव गौतम को पुलिस मुख्यालय के ज्यादातर वरिष्ठ अफसरों और सरकार में बैठे लोगों के साथ अच्छे व्यवहार का फायदा मिल सकता है।

 बता दें कि जुनेजा को भूपेश सरकार ने सेवावृद्धि देकर पद पर बनाए रखा वरना यह फेरबदल पिछली सरकार में ही हो जाता।

इन आईपीएस की 25 साल की सर्विस 

30 साल की सर्विस पूरी करने वाले आईपीएस को ही डीजीपी बनाया जाता है, लेकिन विशेष मामले में एक साल कम पर भी डीजीपी की नियुक्ति हो जाती है।

ये नियम बड़े राज्यों के लिए है। छोटे राज्यों के लिए केंद्र सरकार ने सेवा काल 25 साल कर दिया है इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार पैनल में उन अफसरों के नाम भी शामिल कर रही है जिनकी सर्विस के 25 साल हो गए हैं।

इनमें विवेकानंद झा 1996 बैच, दिपांशु काबरा 1997 बैच और अमित कुमार 1998 बैच शामिल हैं। हालांकि राज्य में सीनियर आईपीएस हैं इसलिए उनमें से ही डीजीपी की नियुक्ति होगी। 

डीजीपी चुनने की प्रक्रिया 

डीजीपी चुनने की एक निर्धारित प्रक्रिया है। प्रदेश सरकार यूपीएससी को डीजीपी के लिए आईपीएस अफसरों के नामों का पैनल भेजती है।

यूपीएससी इसके लिए मीटिंग करती है जिसमें यूपीएससी चेयरमैन, गृह मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी लेवल का अफसर, राज्य के चीफ सेक्रेटरी और वर्तमान डीजीपी शामिल होते हैं।

यह चारों मिलकर गुण दोष के आधार पर डीजीपी के लिए तीन नामों का पैनल तैयार करते हैं। इनमें से ही प्रदेश सरकार किसी एक को डीजीपी नियुक्त करती है। डीजीपी कार्यकाल दो साल का होता है।

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