झारखंड शराब घोटाले की साजिश रायपुर के एक बड़े होटल में सिंडिकेट के साथ मिलकर रायपुर के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया ने रची थी। झारखंड एसीबी की जांच में राजफाश हुआ है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, होटल कारोबारी अनवर ढेबर, आबकारी अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी सहित अन्य सहयोगियों ने इस घोटाले को अंजाम देने का काम सिद्धार्थ को सौंपा था।
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सिद्धार्थ सिंघानिया के छत्तीसगढ़ के मंत्रियों से तगड़े कनेक्शन
जांच में सामने आया है कि मई 2022 में झारखंड में नई उत्पाद नीति लागू होने पर तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे के कार्यकाल में शराब दुकानों के मैनपॉवर टेंडर की शर्तें सिंडिकेट के निर्देश पर सिंघानिया ने अपने अनुसार तय करवाई थी। छापेमारी में मिली डायरी से सिंडिकेट के गठजोड़ का रहस्योद्घाटन हुआ है। एसीबी ने सिद्धार्थ को गिरफ्तार कर रांची के एसीबी कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में भेज दिया गया।
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जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक शराब सिंडिकेट में शामिल सिद्धार्थ सिंघानिया के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी विजय भाटिया, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, अनिल टुटेजा और झारखंड के पूर्व उत्पाद सचिव विनय चौबे से तगड़े कनेक्शन मिले हैं।
छत्तीसगढ़ शराब घोटले में भी हो सकता है हाथ
छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले में भी सिद्धार्थ समेत 16 रसूखदार कारोबारियों की संलिप्तता पाई जाने पर पूछताछ करने छत्तीसगढ़ की एसीबी सभी को नोटिस जारी करने जा रहा है। वहीं झारखंड एसीबी जल्द ही उसे पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी, ताकि शराब घोटाले में उसके सहयोगियों के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सके।
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ऐसे किया घोटाला
बेंगलुरु की मैनपावर सप्लाई कंपनी सुमित फैसिलिटीज का छत्तीसगढ़ प्रमुख सिद्धार्थ पर आरोप है कि उसने झारखंड की खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर आपूर्ति का ठेका लिया था। वह छत्तीसगढ़ की प्लेसमेंट एजेंसी ईगल हंटर साल्यूसंस, ए-टू-जेड इंफ्रा सर्विसेज और मेसर्स प्राइम वन का झारखंड में प्रतिनिधित्व करता था।
इन एजेंसियों पर शराब की खुदरा बिक्री का 450 करोड़ रुपए झारखंड सरकार के खाते में जमा नहीं करने का आरोप है, जिसका मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। यहीं नहीं, छत्तीसगढ़ और झारखंड के कई शराब व बियर बार में भी इसकी हिस्सेदारी के सुबूत मिले हैं।
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