जिस पर पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या का शक, दैनिक भास्कर ने उस सुरेश चंद्राकर को बनाया इमर्जिंग स्टार

कभी इम्पेक्ट फीचर, कभी सिटी प्राइड तो कभी और किसी नाम से पैसे लेकर समाचार पत्र थोकबंद समाजसेवियों को सर्टिफाइड कर रहे हैं। पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के कथित आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने भी 'दैनिक भास्कर' में पूरे एक पेज का इम्पेक्ट फीचर दिया था।

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छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हत्याकांड में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर और उनके भाई रितेश चंद्राकर संदेह के घेरे में हैं। पुलिस इनसे पूछताछ कर रही है। उधर दूसरी तरफ 'दैनिक भास्कर' ने एक जनवरी को मामले के कथित आरोपी सुरेश चंद्राकर को शहर का इमर्जिंग स्टार बताकर पूरा एक पेज छापा है।

दैनिक भास्कर ने बनाया सुरेश चंद्राकर को सर्टिफाइड समाजसेवी

कभी इम्पेक्ट फीचर, कभी सिटी प्राइड तो कभी और किसी नाम से पैसे लेकर समाचार पत्र थोकबंद समाजसेवियों को सर्टिफाइड कर रहे हैं। पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के कथित आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने भी ठीक एक जनवरी को “दैनिक भास्कर” में पैसा देकर पूरे एक पेज का इम्पेक्ट फीचर दिया था। इसके बदले दैनिक भास्कर ने सुरेश चंद्राकर को संघर्षशील, जुझारू और समाज के लिए समर्पित नायक बता दिया। 

(देखिए- दैनिक भास्कर में प्रकाशित इम्पेक्ट फीचर)

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जितना ज्यादा पैसा दोगे, उतने बड़े समाजसेवी बनोगे

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कथित तौर पर देश के सबसे बड़े समाचार पत्र ने हाल ही के वर्षों में  “तुम हमें पैसे दो, हम तुम्हें समाजसेवी बनाएंगे” योजना के तहत हर जिले- कस्बे में इम्पेक्ट फीचर और सिटी प्राइड छापना शुरू किए हैं। कहने को तो ये शहर, जिले या प्रदेश के समाजसेवी होते हैं, मगर अखबार ये समाजसेवा मुफ्त में नहीं करता। समाजसेवी बनाने के पैसे लेता है। अच्छे खासे पैसे। इतना ही नहीं जो जितना ज्यादा पैसा देगा, उतने ही ज्यादा बड़ी साइज में अखबार में जगह पाएगा। और हां! इन समाजसेवियों का आगे कुछ काला-पीला उजागर होगा तो उसे भी बैलेंस करने की ग्यारंटी अगल से… तो ऐसा ही समाजसेवी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को भी दैनिक भास्कर ने नववर्ष के दिन बनाया है। बता दें कि ठीक एक जनवरी से ही मुकेश चंद्राकर गायब थे। 

ऐसे समझें पूरा मामला

1 जनवरी 2025 की शाम से मुकेश चंद्राकर लापता थे। अगले दिन उनके भाई ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने जांच के दौरान मुकेश का अंतिम लोकेशन चट्टानपारा क्षेत्र में पाया। सीसीटीवी फुटेज और जीमेल लोकेशन से सुराग जुटाए गए। पुलिस और पत्रकारों को बैडमिंटन कोर्ट परिसर के सेप्टिक टैंक पर शक हुआ। जब टैंक को तोड़ा गया, तो उसमें मुकेश का शव मिला। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, उनकी हत्या गला घोंटकर और सिर पर कुल्हाड़ी मारकर की गई थी।

संदिग्ध और कारण

इस हत्या में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर और उनके भाई रितेश चंद्राकर संदेह के घेरे में हैं। मुकेश ने हाल ही में 120 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली सड़क के घटिया निर्माण पर खबर बनाई थी। यह सड़क सुरेश का ही प्रोजेक्ट था, जिससे दोनों के बीच विवाद हुआ। इस मामले में पुलिस ने अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और तीन अन्य को हिरासत में लिया है। मामले की जांच जारी है, और हत्या के पीछे की असली वजह का खुलासा जल्द होगा।

पत्रकारों का विरोध

इस घटना के बाद पत्रकारों ने बीजापुर नेशनल हाईवे-63 पर चक्काजाम किया। उन्होंने हत्यारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को जल्द सजा दिलाई जाएगी।

FAQ

मुकेश चंद्राकर की हत्या क्यों की गई?
मुकेश ने 120 करोड़ रुपए की सड़क परियोजना के घटिया निर्माण पर खबर बनाई थी, जिससे विवाद हुआ।
मुकेश चंद्राकर का शव कहां मिला?
उनका शव बैडमिंटन कोर्ट परिसर के सेप्टिक टैंक में मिला।
इस मामले में कितने आरोपी गिरफ्तार हुए हैं?
अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
पत्रकारों ने किस प्रकार विरोध किया?
उन्होंने बीजापुर NH-63 पर चक्काजाम किया और सख्त कार्रवाई की मांग की।
पुलिस जांच में क्या सामने आया?
हत्या के पीछे व्यक्तिगत विवाद और पत्रकारिता से जुड़े मुद्दे संभावित कारण हैं।

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