कौन है नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस, जिनकी गिरफ्तारी पर दिल्ली तक गरमाई सियासत

छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी ने देशभर में राजनीतिक भूचाल ला दिया है। ननों पर कथित धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोपों ने इसे राजनीतिक बहस का विषय बना दिया है।

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Kanak Durga Jha
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छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। यह न सिर्फ छत्तीसगढ़ में बल्कि केरल और दिल्ली में भी एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। मंगलवार को केरल के एलडीएफ और यूडीएफ के सांसदों ने इसके विरोध में संसद के बाहर प्रदर्शन किया। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी ननों के समर्थन में सामने आए। 

बीजेपी की केरल यूनिट ने इसे भूल बताया। सीपीएम नेता वृंदा करात ने नन की गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताया। ईसाई संगठनों ने अलग ही मोर्चा खोल रखा है। जीआरपी का कहना है कि इस मामले में अदालत ही उचित फैसला करेगी। छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि केस की जांच न्यायिक प्रक्रिया के तहत की जा रही है। कानून स्वतंत्र होकर काम करेगा।

ननों का परिवार भी चर्च से जुड़ा

पिछले शुक्रवार को जीआरपी ने दुर्ग रेलवे स्टेशन से केरल के सीरियाई-मालाबार चर्च की दो ननों प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। तीसरे गिरफ्तार शख्स का नाम सुकामन मंडावी है। दर्ज एफआईआर के अनुसार, केरल के असीसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैक्युलेट (ग्रीन गार्डन्स) से जुड़ीं ननों पर नारायणपुर की तीन महिलाओं को जबरन धर्म परिवर्तन कराने और मानव तस्करी के आरोप है। 

प्रीति मैरी मूल रूप से केरल के एर्नाकुलम जिले के एलावुर की रहने वाली हैं, जबकि वंदना फ्रांसि कन्नूर के उदयागिरी गांव से हैं। इनके भाई बहन भी चर्च से जुड़े हैं। गिरफ्तार ननों में से एक फार्मासिस्ट है और दूसरी नर्स हैं। दोनों ने नॉर्थ इंडिया में कई साल बिताए हैं। फिलहाल इन दोनों आरोपियों को महिला आश्रय गृह रखा गया है।


केरल से छत्तीसगढ़ पहुंचे नेता

इन ननों की गिरफ्तारी के बाद उत्तर से दक्षिण भारत तक राजनीति गरमा गई है। छत्तीसगढ़ में राजनीतिक दलों के नेताओं का दौरा शुरु हो गया। संसद के बाहर भी इस गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन हुए। बुधवार को केरल के कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के नेताओं ने दुर्ग केंद्रीय जेल में ननों से मुलाकात की।

  • गिरफ्तारी से बवाल: दुर्ग स्टेशन से दो कैथोलिक ननों की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक हलचल तेज।

  • जांच के घेरे में धर्मांतरण: ननों पर तीन महिलाओं के जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी का आरोप।

  • केरल में गूंज: केरल से सांसदों ने संसद के बाहर किया प्रदर्शन, यूडीएफ नेताओं ने की जेल में मुलाकात।

  • सियासी बयानबाज़ी: भूपेश बघेल ने उठाया लोकसभा में मुद्दा, सीपीएम और चर्च ने भी जताई आपत्ति।

  • सरकार का पक्ष: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बोले – कानून स्वतंत्र रूप से करेगा काम, मामला न्यायिक प्रक्रिया में।

प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के सांसद बेनी बेहनन, सांसद सप्तागिरी उल्का, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन और केरल कांग्रेस के के फ्रांसिस जॉर्ज शामिल थे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि कांग्रेस ने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं। जिन राज्यों में बीजेपी सत्ता में है, वहां अल्पसंख्यकों को वोटों के ध्रुवीकरण के लिए निशाना बनाते हैं।

FAQ

दो ननों की गिरफ्तारी कब और कहां हुई थी?
दोनों ननों को 26 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन से जीआरपी ने गिरफ्तार किया।
इन ननों पर क्या आरोप लगाए गए हैं?
नारायणपुर की तीन महिलाओं को जबरन धर्म परिवर्तन कराने और मानव तस्करी का आरोप है।
ननों की गिरफ्तारी पर किन राजनीतिक नेताओं ने प्रतिक्रिया दी?
भूपेश बघेल, वृंदा करात, बेनी बेहनन, के फ्रांसिस जॉर्ज और कई अन्य नेताओं ने गिरफ्तारी पर आपत्ति जताई।
केरल से किन नेताओं ने ननों से मुलाकात की?
यूडीएफ के सांसद बेनी बेहनन, सप्तागिरी उल्का, एन.के. प्रेमचंद्रन और के. फ्रांसिस जॉर्ज दुर्ग जेल पहुंचे।

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