कलेक्टर का पूर्व मंत्री को फरमान, पोस्ट डीलिट करो नहीं तो मिलेगा दंड

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में पूर्व राजस्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयसिंह अग्रवाल को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत ने उन्हें एक फेसबुक पोस्ट को डिलीट करने का कड़ा नोटिस भेजा है।

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Harrison Masih
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Korba Collector notice former minister Jaisingh Agrawal the sootr
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छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में पूर्व राजस्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयसिंह अग्रवाल को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत ने उन्हें एक फेसबुक पोस्ट को डिलीट करने का कड़ा नोटिस भेजा है, जिसमें पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर की तस्वीर को दुर्भावनापूर्ण तरीके से प्रसारित करने का आरोप है।

यह मामला अब सिर्फ एक सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इससे प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है, क्योंकि इस तरह की कार्रवाई प्रदेश में अब तक किसी वरिष्ठ नेता पर शायद ही कभी हुई हो।

क्या है पूरा मामला?

14 जुलाई को जयसिंह अग्रवाल के फेसबुक अकाउंट (या उससे संबंधित पेज) पर एक तस्वीर पोस्ट की गई, जिसमें पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ज्ञापन देने के लिए खड़े नजर आ रहे हैं, जबकि कलेक्टर बैठे हुए दिख रहे हैं।

जयसिंह ने इस पोस्ट के साथ लिखा कि "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूर्व मंत्री खड़े हैं और कलेक्टर बैठे हुए।"

इस पर कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत ने नोटिस जारी कर कहा कि यह पोस्ट दुर्भावनापूर्ण मंशा से की गई है और इससे सामाजिक वर्गों के बीच गलत भावना फैल सकती है।

कलेक्टर के नोटिस में क्या कहा गया?

नोटिस में लिखा गया है कि पोस्ट शासन और प्रशासन की छवि धूमिल करने तथा जनता के मन में असंतोष उत्पन्न करने की नीयत से प्रसारित की गई है।

कलेक्टर ने पोस्ट तत्काल हटाने का निर्देश देते हुए लिखा "अन्यथा यह भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आएगा।"

साथ ही स्पष्ट चेतावनी दी गई कि ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

 

  1. फेसबुक पोस्ट पर विवाद – पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने एक फोटो शेयर की, जिसमें पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर खड़े और कलेक्टर बैठे नजर आए; इसे दुर्भावनापूर्ण बताया गया।

  2. कलेक्टर का सख्त नोटिस – कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत ने अग्रवाल को पोस्ट हटाने के लिए नोटिस जारी किया और चेतावनी दी कि यह सामाजिक विद्वेष और असंतोष फैला सकता है।

  3. दोष का आरोप – नोटिस में कहा गया कि यह पोस्ट प्रशासन और शासन की छवि को धूमिल करने की मंशा से की गई है, जो भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत दंडनीय है।

  4. राजनीतिक हलचल – वरिष्ठ नेता को कलेक्टर से इस तरह का नोटिस मिलने से राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई; ऐसा उदाहरण राज्य में बहुत कम देखने को मिला है।

  5. पोस्ट हटाने का निर्देश – जयसिंह अग्रवाल से पोस्ट हटाने को कहा गया है, अन्यथा उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई की संभावना जताई गई है।

 

राजनीतिक और प्रशासनिक असर

जयसिंह अग्रवाल छत्तीसगढ़ में कई बार के विधायक और पूर्व मंत्री रह चुके हैं, ऐसे में कलेक्टर का सीधा और सख्त नोटिस देना अभूतपूर्व माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि बस्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्र को छोड़कर, राज्य में शायद ही किसी बड़े नेता को इस तरह का नोटिस मिला हो। यह मामला अब सामाजिक मीडिया बनाम सरकारी गरिमा और राजनीति बनाम प्रशासन की बहस में तब्दील होता दिख रहा है।

इस मामले से साफ है कि सोशल मीडिया की पोस्टिंग अब सिर्फ "व्यक्तिगत राय" का मामला नहीं रहा, बल्कि वह भी कानूनी और संवैधानिक दृष्टिकोण से जांच के दायरे में आ रही है। जयसिंह अग्रवाल द्वारा पोस्ट हटाई जाएगी या नहीं, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं, क्योंकि यह प्रकरण अब राजनीतिक गरिमा और प्रशासकीय अनुशासन की सीधी टकराहट में बदल चुका है।

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