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कोरबा जिले में जर्जर स्कूल भवन की समस्या से गांव ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्र के शाला प्रबंध समिति भी जूझ रहे हैं। शहर के ग्राम खरमोरा के निकट गोकुल नगर में संचालित प्राइमरी स्कूल का मूल भवन पांच साल से भी अधिक समय से जर्जर हो चुका है।
विद्यालय परिसर के मात्र अतिरिक्त कक्ष में पहली से पांचवी की कक्षाएं संचालित हो रही हैं। स्कूल में बच्चों की कुल दर्ज संख्या 84 है। उपस्थिति पूरी होने पर बच्चों को कार्यालय कक्ष में भी बैठाकर अध्यापन कराया जाता है।
स्कूल भवन की हालत जर्जर
संसाधनों की कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूलों की दशा दिनों दिन बदहाल होते जा रही है, जिनमें पर्याप्त भवन की कमी से अध्यापन कार्य बाधित होना शामिल है। गोकुल नगर प्राथमिक शाला में ज्यादातर अटल आवास और आसपास श्रमिक बस्ती के बच्चे पढ़ाई करते है।
स्कूल में बढ़ते दर्ज संख्या को देखते हुए कुछ साल पहले अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कराया गया है। मूल स्कूल भवन की छत बारिश के दौरान सीपेज होता है। फर्श में पानी भरने की वजह से बच्चों को यहां बैठाकर पढ़ाना मुश्किल है।
बच्चों को कमरे में होती है परेशानी
स्कूल की प्रधान अध्यापिका रंजी पाटिल का कहना है कि सुरक्षागत कारणों से बच्चों को जर्जर भवन में नहीं बैठाया जा रहा है। उनका कहना है कि हमने पुराने भवन के जीर्णोद्धार के लिए उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है। यहां बताना होगा कि शाला प्रबंधन की ओर समस्या को हर साल प्रशासन को अवगत कराया जाता लेकिन सुविधा के अभाव में बच्चों को एक मात्र कमरे में बैठाने की शिक्षकों की मजबूरी है।
तंग कमरे में बच्चों को बैठने काफी परेशानी होती है। वर्षा के दौरान पूरा फर्श गीला हो जाता है। धूप निकले पर बच्चे उमस और गर्मी से हलकान रहते हैं। अध्यापन कार्य प्रभावित होता है।
यहां बताना होगा शहर के अधिकांश स्कूल परिसर में सालों पुराने भवनों को डिस्मेल्ट नहीं किया गया है। डिस्मेल्ट की प्रक्रिया जटिल होने की वजह से मामला लंबित है। भवन के स्थान पर अतिरिक्त कक्ष बनाए जाने की वजह से खेल मैदान सिमट गया है।
जबकि प्रत्येक स्कूलों को खेल गढ़िया ओलंपिक के अंतर्गत खेल सामग्री प्रदान किया गया है। खेल मैदान के अभाव में खेल सामानों का उपयोग नहीं हो रहा है। इस तरह की दशा अंधरीकछार, पीडब्ल्यूडी रामपुर, पुरानी बस्ती आदि स्कूलों में देखी जा सकती है।
फर्नीचर सुविधा के बाद भी फर्श में बैठ रहे विद्यार्थी
शहरी स्कूल होने की वजह से यहां स्कूल भवन को छोड़ अन्य संसाधन पर्याप्त हैं। शिक्षकों का कहना है कि पुस्तक व गणवेश सभी बच्चों को वितरित किया जा चुका है। बच्चों की बैठक व्यवस्था के लिए यहां फर्नीचर भी प्रदान की गई है, ताकि पहली से पांचवी कक्षा के विद्यार्थी सुविधा के साथ अध्यापन कर सकें। जिसका उपयोग किए जाने पर सभी बच्चों एक साथ बैठाना संभव नहीं है। फर्नीचरों को पुराने भवन में रखा गया है। उपयोग के अभाव में फनीचर जंग लग रहा है।
जर्जर भवन, एक ही कक्ष में 84 छात्र- मूल स्कूल भवन पांच साल से अधिक समय से खस्ताहाल है।
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रसोई घर की भी नहीं है सुविधा
स्कूल भवन के अलावा परिसर में निर्मित रसोई घर भी जर्जर हो चुका है। 84 बच्चों के लिए भोजन जर्जर भवन तैयार किया जाता है। उससे भी बड़ी समस्या यह है कि रसोई तैयार होने के बाद बच्चों के तंग कमरे में ही भोजन करना पड़ता है।
दीगर मौसम बच्चे स्कूल परिसर में कहीं भी बैठकर भोजन कर लेते हैं लेकिन वर्षा जारी रहने के दौरान भोजन अवकाश में समस्या होती है। रसोई की समस्या केवल गोकुल नगर स्कूल में ही नहीं बल्कि शहर के अन्य स्कूलों में भी है। शाला प्रबंधन समिति ने रसोई घर जीर्णोद्धार कराने की मांग की है।
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