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सावन का आखिरी सोमवार और रायपुर का महादेव घाट — जब दोनों साथ आते हैं, तो सिर्फ श्रद्धा ही नहीं, इतिहास भी बोल उठता है। राजधानी से महज कुछ किलोमीटर दूर बसा महादेव घाट, आज जहां शिवभक्तों की भीड़ उमड़ी, वहीं इस स्थल का इतिहास भी उतना ही प्राचीन और रहस्यमयी है।
मान्यता है कि महादेव घाट के शिवलिंग की स्थापना सतयुग में हुई थी। कहा जाता है कि यहां भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे। एक कथा के अनुसार, किसी संत को यहां ध्यान करते समय शिव की अनुभूति हुई और वहीं पर यह प्राचीन शिवलिंग स्थापित किया गया। तब से लेकर आज तक यह स्थल आस्था का केंद्र बना हुआ है।
कलचुरी काल से जुड़ा है इतिहास
इतिहासकारों के अनुसार, महादेव घाट क्षेत्र पर कलचुरी राजाओं का विशेष ध्यान रहा। यहां कई छोटे-बड़े मंदिरों का निर्माण उस काल में हुआ। खासकर सावन माह में राज परिवार के सदस्य भी यहां पूजा-अर्चना करने आते थे।
नदी किनारे बसा पवित्र स्थल
महादेव घाट शिवनाथ नदी के तट पर स्थित है, जो इसे और भी पवित्र बनाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस घाट का जल सभी दोषों को हरने वाला होता है। यहीं से हजारों कांवड़िए जल भरकर निकट के शिवालयों में जलाभिषेक करने जाते हैं।
अनोखा है रायपुर का महादेव घाट
कलचुरी राजाओं ने यहां मंदिरों का निर्माण कराया। यह घाट शिवनाथ नदी के किनारे स्थित है। सावन सोमवार पर भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा और सुविधा की व्यवस्था रहती है। |
आज भी जीवंत है परंपरा
सावन के अंतिम सोमवार को यहां श्रद्धालुओं का मेला सा लगता है। सुबह से शाम तक भक्ति गीत, जलाभिषेक और भंडारे चलते हैं। प्रशासन भी इस ऐतिहासिक स्थल को संरक्षित करने की दिशा में सक्रिय है।
FAQ
हटकेश्वर महादेव मंदिर | रायपुर के महादेव घाट का इतिहास | शिव और सावन | सावन मास
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