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मिशन 2026 के शुरू होते ही फोर्स आक्रामक हो गई है खास तौर पर फोर्स उन इलाकों में ऑपरेशन लांच कर रही है जो नक्सलियों के गढ़ और उनके सुरक्षित छिपने के ठिकाने माने जाते थे। अभी फोर्स ने करेंगुट्टा के पहाड़ियों पर अपना कब्जा जमा लिया है। इसके अलावा फोर्स ने नक्सलियों के सबसे सुरक्षित गढ़ माने जाने वाले अबूझमाड़ में भी न सिर्फ अपनी दखल बढ़ाई है बल्कि यहां नक्सलियों के कोर जोन को ध्वस्त करते हुए अपना कब्जा किया है।
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मानसून में जवान चलाएंगे बड़ा ऑपरेशन
पुलिस सूत्रों की मानें तो मानसून के पहले-पहले फोर्स चाहती है कि नक्सलियों आराम से रह सकते हैं छिप सकते हैं उन सभी पर फोर्स का कब्जा हो जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि मानसून के आते ही जैसे ही बारिश शुरू होगी वैसे ही छोटी-बड़ी नदियां, नाले, पहाड़ी नदियां, नाले उफान पर आ जायेंगे और फोर्स को मूवमेंट में दिक्कतें होंगी।
इसके अलावा नक्सलियों को भी छिपने और नई रणनीति बनाने के लिए तीन महीने का समय मिल जायेगा। ऐसे में फोर्स चाहती है कि बारिश में भी बस्तर के नक्सलगढ़ में फोर्स की पकड़ मजबूत रहे और नक्सलियों को छिपने और प्लानिंग करने का कोई मौका नहीं मिले।
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इस मानसून सुकमा और कोर एरिया पर फोकस
पहले दंतेवाड़ा में नक्सलियों के सुरक्षित पनाहगाह तक फोर्स पहुंची यहां या तो कैंप डाल दिए गये या नक्सलियों के गढ़ में सड़क बनवा दी गई। इसके बाद बीजापुर-सुकमा के सरहदी इलाके जैसे पूवर्ती, सिलगेर जो नक्सलियों के सुरक्षित पनाहगाह थे यहां भी फोर्स ने कैंप खोलकर सड़कों का निर्माण करवा दिया। करेंगुट्टा भी फोर्स के कब्जे में है। ऐसे में अब मानसून के दौरान नक्सली सुकमा के किष्टाराम वाले इलाके और बीजापुर जिले में मौजूद टाइगर रिजर्व के कोर एरिया को अपना ठिकाना बना सकते हैं।
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यहां नक्सल मूवमेंट बंद
यहां नक्सल मूवमेंट या तो बंद या बेहद कम हो चुकी अभी नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव, बस्तर जिले में नक्सल मूवमेंट या तोबंद हो गये हैं या बेहद कम हैं। खास तौर पर कोंडागांव, बस्तर के एक बड़े हिस्से में नक्सली गतिविधियां पूरी तरह से थम चुकी हैं।
दंतेवाड़ा में गतिविधियां तो बंद हैं लेकिन यहां के कुछ गांवों में नक्सलियों की थोड़ी उपस्थिति है। बीजापुर और नारायणपुर के बड़े हिस्से में नक्सली गतिविधियां रुकी हुई हैं। फोर्स के अफसरों का कहना है कि बीजापुर और नारायणपुर में नक्सल मूवमेंट जरूर है लेकिन स्थिति कंट्रोल में है।
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