अरुण तिवारी, रायपुर. लोकसभा चुनाव के बीच नक्सली सरकार से बातचीत को तैयार हो गए हैं, लेकिन ये बातचीत सशर्त होगी। नक्सलियों की दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने एक चिट्ठी जारी कर अपनी कुछ शर्तें बताई हैं। द सूत्र के पास नक्सलियों का वो पत्र है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्या चाहते हैं नक्सली।।
सरकार दे रही बातचीत का ऑफर
जब से छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनी है, तब से वो नक्सलियों ( Naxalites ) को बातचीत का ऑफर देती रही है। बीते एक साल में बीजेपी के खिलाफ नक्सलियों का कहर कुछ ज्यादा ही बरपा है। नई सरकार बनने के बाद दो बीजेपी नेताओं की हत्या नक्सलियों ने की है। एक साल में 10 बीजेपी नेता नक्सलियों द्वारा मारे जा चुके हैं। उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा सार्वजनिक रुप से कह चुके हैं कि सरकार नक्सलियों से बातचीत को तैयार है।
कोशिशें कुछ रंग लाती दिख रहीं
ऐन लोकसभा चुनाव के मौके पर सरकार की कोशिशें कुछ रंग लाती दिख रही हैं। नक्सलियों की दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने एक चिट्ठी जारी कर बातचीत के लिए सहमति जताई है, लेकिन उसने कुछ शर्तें रखी हैं। नक्सलियों ने कहा कि सरकार बातचीत का माहौल तैयार करे तो वो चर्चा को तैयार हैं।
ये हैं नक्सलियों की शर्तें
- कार्पोरेट घरानों से किये गए जल, जंगल, ज़मीन के सभी समझौते रद्द किए जाएं।
- झूठी मुठभेड़ों को बंद कर आदिवासियों को मारना बंद करें।
- आदिवासी अंचलों के सैन्यकरण को तत्काल रोका जाए।
- आदिवासी इलाकों में बनने वाले बेस कैम्प बंद किये जायें।
- जनगणना के काम में धर्मकोड का कॉलम बनाया जाए।
- महिला पुरुषों को समानता के आधार पर वेतन दिया जाए।
- नागरिकता संशोधन कानून रद्द किए जाएं।
- कट्टर हिंदूवादी ताकतों को दूसरे लोगों के साथ अत्याचार को रोका जाए।
इन शर्तों पर ही तैयार होगा माहौल
नक्सलियों का कहना है डिप्टी सीएम बातचीत की बात कह रहे हैं, लेकिन बातचीत का माहौल इन शर्तों के साथ ही तय होगा। उनकी मांगें कोई अलग नहीं हैं, बल्कि महिला,पुरुष,आदिवासी और वंचित वर्गों के हितों की हैं। अब गेंद सरकार के पाले में है कि वो इन शर्तों पर कितना विचार करती है।
नक्सलियों की ओर से भेजा गया पत्र: