बस्तर में फोर्स के लगातार चल रहे ऑपरेशन के चलते नक्सलियों पर खासा दबाव बढ़ा है और यही कारण है कि नक्सली बीते लंबे समय से बैकफुट पर बने हुए हैं। इन हालातों में अपनी दहशत बनाए रखने अब नक्सलियों ने निर्दोष ग्रामीणों को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया है। बीते एक महीने में नक्सलियों ने 6 ग्रामीणों की हत्या कर चुके हैं। सभी ग्रामीणों पर नक्सलियों ने पुलिस के लिए मुखबिरी करने का आरोप लगाया है। इन हालातों में अंदरूनी ग्रामीण क्षेत्रों में नक्सलियों की दहशत बढ़ती दिख रही है।
दरअसल इस साल बीते 6 महीनों में जिस तरह से फोर्स ने नक्सलियों के खिलाफ पूरी आक्रामकता के साथ ऑपरेशन लॉन्च कर बड़े नक्सली नेताओं को मार गिराया है, उससे बड़े कैडर के नक्सलियों के साथ ही स्थानीय कैडर के नक्सलियों में भी फोर्स की दहशत बढ़ गई है। इसी बौखलाहट में नक्सली अपनी दहशत का वर्चस्व कायम रखने का प्रयास नक्सली ग्रामीणों को मौत के घाट उतार कर रहे हैं।
हालांकि ये भी नक्सलियों की युद्धनीति का ही एक हिस्सा है, जिसमें वे बैकफुट पर होने के चलते दहशत कायम रखने निर्दोष लोगों की हत्या करते हैं। बीजापुर जिले में फिर 2 ग्रामीणों की हत्या कर दी है। मिली जानकारी के मुताबिक बीजापुर जिले के तर्रेम थाना क्षेत्र के दो अलग-अलग गांवों, छुटवाई व बड़ा तरेंम में दो अलग-अलग टीम बनाकर नक्सली पहुंचे। दरअसल दोनों वारदातों को एक साथ नक्सलियों की स्मॉल एक्शन टीम ने अंजाम दिया है।
जगरगुंडा एरिया कमेटी के हवाले से पर्चा जारी
दोनों ग्रामीणों के पास नक्सलियों ने जो पर्चे छोड़े हैं, उनमें ग्रामीणों पर पुलिस के लिए मुखबिरी करने का आरोप लगाया गया है। पर्चे नक्सलियों की भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (माओवादी) की जगरगुंडा एरिया कमेटी के हवाले से जारी किए गए हैं। सादे कागज पर हाथ से लिखे पर्चे को लेकर पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। वहीं पर्चा में खून के छोटे भी लगे हुए हैं।
नक्सली, वर्चस्व कायम रखने निर्दोष लोगों को मारते हैं
नक्सल मामलों के जानकार बताते हैं कि जब-जब नक्सली कमजोर पड़ते हैं या बैकफुट पर होते हैं तो वे अपनी दहशत कायम रखने निर्दोष ग्रामीणों की हत्या करते हैं। ऐसा कर वे ग्रामीण क्षेत्रों में अपना वर्चस्व कायम रखने का प्रयास करते हैं। चूंकि वर्तमान में फोर्स का दबाव अंदरूनी इलाकों में बढ़ा है और बीते डेढ़ सालों में कई बड़े कैडर के नक्सली ढेर किए जा चुके हैं, ऐसे में सांगठनिक रूप से नक्सली बेहद कमजोर हुए हैं। इसी कमजोर संगठन के कारण वे बैकफुट पर हैं। इसके चलते नक्सली दहशत बनाने ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं।
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