Chhattisgarh : सरकारी खरीदी में होने वाले खेला को रोकेगा नया सिस्टम, हर विभाग में बनेगी विजिलेंस सेल

बीजेपी ने भूपेश सरकार के घोटालों को प्रमुखता से उठाकर जनता की सहानभूति बटोरने की कोशिश की है। ये दाग अपनी सरकार पर न लगें इसीलिए बीजेपी सरकार निगरानी सिस्टम बनाने जा रही है।

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Sandeep Kumar
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अरुण तिवारी @ RAIPUR. विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections ) तक छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा रहा है। पिछली सरकार के समय हुए घोटालों पर जिस तरह कार्रवाई हो रही है उसने इस मुद्दे को और बड़ा बना दिया है। बीजेपी ने भूपेश सरकार के घोटालों को प्रमुखता से उठाकर जनता की सहानभूति बटोरने की कोशिश की है। ये दाग अपनी सरकार पर न लगें इसीलिए बीजेपी सरकार निगरानी सिस्टम बनाने जा रही है। हर विभाग में विजलेंस सेल ( vigilance cell ) बनाई जा रही है। इसकी शुरुआत रजिस्ट्रेशन विभाग से की जा रही है। यही वो विभाग है जहां पर भ्रष्टाचार के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। इसके बाद विजलेंस सिस्टम हर विभाग में लागू होगा। विजलेंस सेल सरकारी खरीद से लेकर हर उस फैसले पर नजर रखेगी जो आर्थिक गतिविधि से जुड़ा हुआ है। 

शाह के निर्देश,मोदी की कॉपी 

विजलेंस का ये पूरा सिस्टम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Union Home Minister Amit Shah ) के निर्देश पर तैयार किया जा रहा है। केंद्र सरकार के हर विभाग में विजलेंस ऑफिसर बनाया गया है जो विभाग की हर गतिविधि पर नजर रखता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिपोर्ट करता है। इसी तरह छत्तीसगढ़ सरकार भी विजलेंस सिस्टम बनाने जा रही है। सीएम विष्णुदेव साय इस मामले में पीएम मोदी की व्यवस्था को कॉपी करने जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने अपने हर विभाग में विजलेंस सेल बनाने का फैसला किया है। यह सेल विभाग की हर आर्थिक गतिविधि पर नजर रखेगी। खासतौर पर सरकारी विभागों में होने वाली खरीदी पर बड़े सवाल उठते हैं। टेंडर प्रक्रिया में भी गड़बड़ी सामने आती है। विजलेंस सेल इस गड़बड़ी को रोकेगी। विजलेंस सेल सीधे तौर पर सीएम को रिपोर्ट करेगी। सबसे पहले ये सिस्टम पंजीयन विभाग में लागू हो गया है। इस विभाग में जमीन और संपत्ति की रजिस्ट्री होती है इसलिए यहां पर भ्रष्टाचार के ज्यादा मामले सामने आते हैं। यही कारण है कि यह पहला विभाग होगा जिसमें विजलेंस सिस्टम काम करने वाला है।  

कौन बनेगा विजलेंस ऑफिसर 

इस सिस्टम को तैयार करने में भी सरकार को सतर्कता बरतनी पड़ेगी। जानकार कहते हैं कि एक विभाग में दूसरे विभाग के अफसर को विजलेंस की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। यदि सरकार उसी विभाग के अधिकारी को विजलेंस की जिम्मेदारी देगी तो फिर इस सिस्टम का मकसद ही पूरा नहीं होगा। सूत्रों की मानें तो सरकार इसी बारे में विचार कर रही है। विजलेंस ऑफिसर बनाने के लिए दूसरे विभाग के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को तैनात किया जा सकता है। इसके अलावा विजलेंस का जिम्मा सौंपने वाले अधिकारी का ट्रेक रिकॉर्ड भी देखा जाएगा। 

फाइलों की पेंडेंसी रोकेगी सरकार 

छत्तीसगढ़ देश का तीसरा राज्य बनने जा रहा है जिसमें यह विजिलेंस सिस्टम लागू किया जा रहा है। इससे पहले केंद्र सरकार के अलावा कर्नाटक और महाराष्ट्र ऐसे राज्य हैं जहां पर यह सिस्टम काम कर रहा है। सरकार ने इन दोनों राज्यों के विजलेंस सिस्टम का अध्ययन कर उसके नतीजों की जानकारी भी ली है। इन राज्यों में इस सिस्टम के लागू होने के बाद फाइलों की पेंडेंसी में कमी आई है। सरकारी विभागों में बड़ी संख्या में प्रकरण लंबित होते हैं। फाइलों का मूवमेंट बहुत धीमी गति से होता है। यहीं से पैसों का लेन-देन शुरु हो जाता है। विजलेंस सेल यह काम भी करेगी कि फाइलों की आवक जावक एक निश्चित समय में हो सके।

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