भारत को बड़ा मुनाफा... छत्तीसगढ़ के इस जिले में मिला निकेल-क्रोमियम-प्लेटिनम खनिज
भालुकोना-जामनीडीह ब्लॉक में निकेल, क्रोमियम और प्लेटिनम समूह (PGE) के खनिजों की खोज ने राज्य को भारत के रणनीतिक खनिज मानचित्र पर उभरता हुआ केंद्र बना दिया है।
छत्तीसगढ़ को खनिज क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मिली है। महासमुंद जिले के भालुकोना-जामनीडीह क्षेत्र में निकेल, क्रोमियम और प्लेटिनम समूह के खनिजों (PGE) की खोज ने राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई है। यह खोज देश की रणनीतिक खनिज नीति के लिए मील का पत्थर मानी जा रही है।
ऐतिहासिक खोज की जानकारी
करीब 3000 हेक्टेयर में फैले इस ब्लॉक में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने पहले संभावना जताई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने इस क्षेत्र की ई-नीलामी करवाई, जिसमें मेसर्स डेक्कन गोल्ड माइनिंग लिमिटेड (DGML) ने 21% की उच्चतम बोली लगाकर अधिकार प्राप्त किया।
अन्वेषण की अनुमति मिलते ही कंपनी ने आधुनिक तकनीकों—ड्रोन मैपिंग, रॉक सैंपलिंग और भूभौतिकीय विश्लेषण के ज़रिए खनिजों की मौजूदगी की पुष्टि की। प्रारंभिक रिपोर्ट में करीब 700 मीटर लंबी और 300 मीटर गहराई वाली खनिज पट्टी की पहचान हुई है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में राज्य की बड़ी भागीदारी - साय
यह क्षेत्र मैफिक-अल्ट्रामैफिक चट्टानों में स्थित है, जो निकल और प्लेटिनम समूह के खनिजों के लिए आदर्श माने जाते हैं। पास ही केलवरडबरी ब्लॉक वेदांता को नीलामी में दिया जा चुका है। दोनों ब्लॉक मिलकर महासमुंद को रणनीतिक खनिज केंद्र बना सकते हैं।
औद्योगिक केंद्र बनने की ओर बढ़ा महासमुंद
महासमुंद में PGE, निकेल और क्रोमियम की ऐतिहासिक खोज
3000 हेक्टेयर क्षेत्र में खनिजों की पुष्टि
DGML को नीलामी में ब्लॉक मिला, 21% की उच्चतम बोली
आधुनिक तकनीकों से 700 मीटर लंबी खनिज पट्टी की पहचान
छत्तीसगढ़ में अब तक 51 खनिज ब्लॉकों की सफल नीलामी
छत्तीसगढ़ में अब तक 51 खनिज ब्लॉक नीलाम किए जा चुके हैं, जिनमें लिथियम, ग्रेफाइट, टिन और फॉस्फोराइट शामिल हैं। सरकार ने इस दिशा में ‘क्रिटिकल मिनरल सेल’ भी गठित किया है, जो अनुसंधान संस्थानों और उद्योगों के साथ मिलकर काम करेगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस खोज को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में राज्य की बड़ी भागीदारी बताया है।
FAQ
महासमुंद की इस खनिज खोज का राष्ट्रीय महत्व क्या है?
यह खोज भारत की रणनीतिक खनिज जरूरतों को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम है।
किस कंपनी को भालुकोना-जामनीडीह ब्लॉक की नीलामी में अधिकार मिला है?
डेक्कन गोल्ड माइनिंग लिमिटेड (DGML) को यह ब्लॉक उच्चतम बोली पर मिला।
किन तकनीकों का इस्तेमाल कर खनिजों की पहचान की गई?
ड्रोन सर्वे, रॉक सैंपलिंग और भूभौतिकीय विश्लेषण का प्रयोग किया गया।
आत्मनिर्भर भारत में इस खोज का क्या योगदान होगा?
यह खोज हरित ऊर्जा, रक्षा और हाई-टेक इंडस्ट्री के लिए जरूरी खनिजों की आपूर्ति में मदद करेगी।
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