छत्तीसगढ़ में अब पेट्रोल पंप संचालकों को सरकार से लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं होगी। केंद्र सरकार के आदेश के तहत इन राज्यों में पेट्रोल पंपों को खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के नियंत्रण से मुक्त कर दिया है। इससे अब इन पंपों पर कितनी मात्रा में पेट्रोल-डीजल आता है, कितना बिकता है, क्या वह शुद्ध है या मिलावटी, माप व मूल्य सही है या नहीं, इन सवालों की कोई जवाबदेही नहीं रह गई है। केंद्र सरकार के निर्देश को अपनाते हुए राज्य स्तर पर लाइसेंस की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। यह बदलाव एक महीने पहले खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग की ओर से जारी एक अधिसूचना के जरिए लागू किया गया है। हाल ही में यह आदेश जिला खाद्य शाखा में भी पहुंच गया है।
आवश्यक वस्तु की सूची में पेट्रोल
गौरतलब है कि पेट्रोल और डीजल अब भी सरकार की आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल हैं। ऐसे में इनकी गुणवत्ता और आपूर्ति तय करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बनती है, लेकिन नियंत्रण से मुक्त किए जाने के बाद अब यह स्पष्ट नहीं है कि मिलावट या शिकायत की स्थिति में कौन जवाबदेह होगा। जनता चाहे भी तो किसी भी प्रशासनिक एजेंसी में शिकायत नहीं कर सकती।
उपभोक्ता संगठनों ने जताई चिंता
उपभोक्ता अधिकार संगठनों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सरकार यदि व्यापारिक उदारीकरण चाहती है, तो वह अच्छी बात है, लेकिन आम जनता को बिना निगरानी के सिस्टम के हवाले करना ठीक नहीं है। मिलावटी ईंधन और अधिक दाम पर बिक्री से उपभोक्ताओं का नुकसान ही होगा। अब जब पेट्रोल पंप सरकारी नियंत्रण से बाहर हैं, तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए कौन-सी वैकल्पिक निगरानी व्यवस्था लागू करती है।
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