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दुर्ग रेलवे स्टेशन पर मानव तस्करी के आरोप में पकड़ी गईं दो ननों प्रीति मेरी व वंदना फ्रांसिस और पास्टर सुखमन मंडावी के साथ मिली नारायणपुर की तीन आदिवासी युवतियों के मतांतरण का मामला उलझ गया है। दरअसल दुर्ग कोर्ट में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने दावा किया था कि तीनों युवतियां पहले से ईसाई है। हालांकि जिला प्रशासन के पास के इसके कोई दस्तावेज नहीं है। नारायणपुर कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाई से इस संबंध में संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
युवती ने दिया बड़ा बयान
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक,दो युवतियां कमलेश्वरी प्रधान और सुखमती मंडावी पहले से ही मतांतरित है। तीसरी युवती ललिता उसेंडी मतांतरित नहीं थी और उसके माता-पिता भी नहीं हैं। उसी युवती के रोने से हिंदू संगठनों को यह जानकारी मिली कि युवतियों को गलत तरीके से बाहर ले जाया जा रहा है।
हालांकि दोनों युवतियों के मतांतरण की अधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। इस बीच, कुकड़ाझोर निवासी 22 वर्षीय कमलेश्वरी प्रधान का एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि हिंदू संगठनों ने उन्हें डरा-धमका कर ननों के विरुद्ध झूठे आरोप लगाने को कहा था।
कमलेश्वरी के अनुसार, वे अपनी मर्जी से काम के सिलसिले में जा रही थीं और उनसे कहा गया था कि "जितना हम बोलेंगे, उतना ही बोलना है।" कमलेश्वरी के स्वजनों ने बताया कि उनका परिवार पांच वर्ष पहले ही मतांतरित हो चुका है और वे अक्सर स्थानीय चर्च में आते-जाते रहते हैं। बड़े आयोजनों पर वे नारायणपुर शहर के आश्रम वार्ड स्थित सीएसआइ कैथोलिक चर्च में जाते हैं।
सरपंच - परिवार की मर्जी से जा रही थी कमलेश्वरी
इसी गांव के जनपद पंचायत सदस्य लच्छन करंगा ने एक चौंकाने वाला आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि कुकड़ाझोर गांव के सरपंच लालचंद के हस्ताक्षर वाला एक पत्र वाट्सएप पर प्रसारित हो रहा है। यह पत्र दुर्ग के थाना प्रभारी के नाम से लिखा गया है, जिसमें उल्लेख है कि कमलेश्वरी अपने माता-पिता की जानकारी में भोपाल के मिशनरी अस्पताल में काम करने जा रही थी, जिसमें खाना बनाना और मरीजों की देखभाल शामिल है।
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इसके लिए आठ हजार रुपये वेतन देने की जानकारी माता-पिता को दी गई थी। पत्र में थाना प्रभारी से कमलेश्वरी को छोड़ने की गुहार लगाई गई है और इस पर पांच पंचों के हस्ताक्षर हैं। हालांकि, करंगा ने इस पत्र को गलत तरीके से तैयार करने का आरोप लगाया है और कहा है कि इसमें पंचों की कोई सहमति नहीं ली गई है। उन्होंने दावा किया कि सरपंच पहले से मतांतरित होने के कारण मिशनरी के पक्ष में माहौल बना रहे हैं।
दो युवतियों के वापस दुर्ग आने की सूचना
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि जिस युवती ललिता का मतांतरण नहीं हुआ था, उसे नारायणपुर से दुर्ग तक ले जाने के दौरान यह नहीं बताया गया था कि उसे कहां ले जाया जा रहा है। पहले इन तीनों युवतियों को सखी सेंटर दुर्ग से नारायणपुर भेजा गया था, लेकिन अब सूचना मिल रही है कि सुखमती और ललिता को कुछ लोग वापस दुर्ग के लिए ले गए हैं।
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