Municipal body and panchayat elections 2024-25 : छत्तीसगढ़ सरकार ने नगर और गांवों में होने वाले चुनाव से पहले ओबीसी को खुश करने के लिए बड़ा दांव खेला है। भले ही गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट की हो लेकिन प्रदेश की नई सरकार ने इसे पूरा करने में देरी नहीं लगाई। प्रदेश सरकार ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण बढ़ने की तैयारी कर ली है।
इन चुनावों में ओबीसी आरक्षण अभी अधिकतम 25 फीसदी है। लेकिन अब ये आरक्षण 35 फीसदी से ज्यादा भी हो सकता है। ओबीसी की आबादी के हिसाब से उसे इन चुनावों में आरक्षण दिया जाएगा। सरकार ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग बनाकर सर्वे का काम भी शुरु करवा दिया है।
इस तरह समझिए आरक्षण बढ़ाने का तरीका
अभी तक नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी को फ्लैट 25 फीसदी का आरक्षण दिया गया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग वॉर्ड वार सर्वे कर रहा है। यानी फॉर्मूला होगा अब कि जितनी जिनकी हिस्सेदारी, उतनी उनकी भागीदारी। प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की आबादी 48-52 फीसदी है। इसीलिए उसका आरक्षण बढ़ना चाहिए। जिन शहरों में ओबीसी की आबादी 40 फीसदी है वहां भी उनको आरक्षण 25 फीसदी ही मिलता है।
आरक्षण का पैमाना अधिकतम 50 फीसदी तक का है। आयोग के मुताबिक छत्तीसगढ़ को भले ही आदिवासी स्टेट माना जाता हो लेकिन यहां आधी आबादी तो ओबीसी है। आदिवासी क्षेत्रों में भले ही आबादी के मान से उनको ज्यादा और ओबीसी को कम आरक्षण मिले लेकिन जहां पर पिछड़ा वर्ग डोमिनेट करता है वहां पर तो ओबीसी को 25 फीसदी से ज्यादा आरक्षण मिलना चाहिए।
रायपुर,बिलासपुर और दुर्ग जैसे बड़े शहरों में पिछड़ा वर्ग की आबादी ज्यादा है। यहां पर एससी,एसटी वर्ग 10 से 15 फीसदी ही है। इसलिए 50 फीसदी के मान से यहां पर ओबीसी को 35-40 फीसदी तक रिजर्वेशन मिल सकता है। और यही काम ओबीसी कल्याण आयोग का है। ओबीसी ने अपना काम शुरु कर दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले चुनाव से पहले आयोग आबादी के आधार पर रिजर्वेशन संबंधी अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप देगा।
ये हैं आयोग के काम
आयोग को ओबीसी आरक्षण के अलावा अन्य काम भी सौंपे गए हैं। आयोग को ओबीसी से जुड़े सभी बिंदुओं पर काम करना है। आयोग को जो काम करने हैं उनमें :
_ ओबीसी वर्ग की सामाजिक,आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन
_ सरकारी योजनाओं में ओबीसी की भागीदारी
_ शैक्षणिक संस्थाओं में ओबीसी छात्रों को मिल रहा फायदा
_ ओबीसी युवाओं को रोजगार के अवसर
_ ओबीसी को स्किल डेवलपमेंट की स्थिति का अध्ययन
ओबीसी के आरक्षण समेत आयोग को इन तमाम बिंदुओं पर अध्ययन करना है। चूंकि आने वाले समय में निकाय और पंचायत चुनाव हैं इसलिए सबसे पहले इन चुनावों में ओबीसी के आरक्षण पर आयोग को काम करने का जिम्मा सौंपा है। इसके बाद अगले तीन साल तक इन तमाम विषयों का अध्ययन कर सरकार को पूरी रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
जुलाई में हुआ आयोग का गठन
प्रदेश सरकार ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता हटने के बाद जुलाई में इस आयोग का गठन किया। हालांकि पहले से पिछड़ा वर्ग आयोग बना हुआ है लेकिन सरकार ने अलग से पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन किया। अगस्त में इसके अध्यक्ष और सदस्य बनाए गए। इसके अध्यक्ष रिटायर्ड आईएएस आरएस विश्वकर्मा को बनाया गया। सदस्यों में नीलांबर नायक,बलदामराव साहू,हरिशंकर यादव,यशवंत वर्मा,शैलेंद्री परगनिया और कृष्णा गुप्ता को बनाया गया है।
आयोग के सदस्यों में इस बात का ध्यान रखा गया है ओबीसी में आने वाले हर वर्ग का प्रतिनिधत्व इस संवैधानिक संस्था में होना चाहिए। अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री के समान वेतन,भत्ते और सुविधाएं दी जाएंगी तो सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त होगा। आयोग के सदस्य कहते हैं कि इस पूरे अध्ययन के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि आखिर प्रदेश में ओबीसी का कितना अधिकार है।
पिछड़ा वर्ग को खुश करने का दांव
दरअसल सरकार की ये पूरी कवायद पिछड़ा वर्ग को खुश करने की है। यदि आधी आबादी को पार्टी ने अपने से जोड़ लिया तो उसका राजनीतिक वजूद बहुत मजबूत हो जाएगा। प्रदेश में किसी भी राजनीतिक दल के लिए ओबीसी का समर्थन बेहद जरुरी हो जाता है।
भूपेश बघेल सरकार तो ये काम नहीं कर पाई लेकिन विष्णुदेव सरकार ने झट से ये काम कर दिया।
वैसे भी इन दिनों देश में जाति की राजनीति खूब चल रही है। कभी जातिगत जनगणना की बात होती है तो कभी ओबीसी के प्रतिनिधित्व की। अब इसका फायदा आने वाले चुनावों में किसको मिलेगा ये तो अलग बात है लेकिन विष्णु सरकार ने आरक्षण बढ़ाने का दांव चलकर पौं बारह लाने के लिए पहला पांसा जरुर फेंक दिया है।