हाउसिंग बोर्ड के मकान बेचने को वन टाइम सेटलमेंट स्कीम, घर खरीदने पर 30 फीसदी तक की छूट

हाउसिंग बोर्ड के मकानों को बेचने के लिए सरकार ने वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लांच की है। यह योजना खासतौर पर मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए है। इसके तहत लोगों को बड़ी छूट दी जा रही है। इस स्कीम से से हाउसिंग बोर्ड के तैयार खड़े मकानों को बेचा जाएगा। ।

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Arun Tiwari
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रायपुर : सरकार आम आदमी को अपने घर का सपना पूरा करने के लिए मेगा ऑफर दे रही है। हाउसिंग बोर्ड के मकानों को बेचने के लिए सरकार ने वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लांच की है। यह योजना खासतौर पर मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए है। इसके तहत लोगों को बड़ी छूट दी जा रही है।

यह स्कीम इसलिए लांच की गई है ताकि हाउसिंग बोर्ड के तैयार खड़े मकानों को बेचा जा सके। हाउसिंग बोर्ड ने अलग अलग योजना में मकान तो निर्माण कर लिए हैं लेकिन उनको खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं। सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि अब मकान की प्री बुकिंग पर 60 फीसदी पैसा लेने के बाद ही मकान का निर्माण शुरु किया जाएगा। 

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वन टाइम सेटलमेंट 

सरकार ने वन टाइम सेटलमेंट पार्ट टू यानी OTS-2 योजना की शुरुआत की है। यह योजना 1 मार्च 2025 से लागू की गई है। इस योजना का मकसद हाउसिंग बोर्ड की निर्मित खाली संपत्तियों को छूट के साथ आम जनता को उपलब्ध कराना है। योजना के तहत विशेष छूट का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि यह स्कीम मध्यमवर्गीय लोगों के लिए घर खरीदने का मेगा ऑफर है। 

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इस स्कीम में इतनी छूट  

- 5 से 10 वर्ष पुरानी संपत्तियों में से जिनमें कम से कम 20 फीसदी हिस्सा खाली है, उन पर 20 परसेंट की छूट दी जा रही है और 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा रिक्त है उनपर 30 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।

- 10 वर्ष से अधिक पुरानी रिक्त संपत्तियों पर 30% तक की छूट लागू की गई है।

- हाउसिंग बोर्ड की वो निर्मित रिक्त संपत्तियां जिनको छूट में पहली बार सम्मिलित किया गया है ऐसी संपत्तियों को निर्मित हुए 5 वर्ष हो चुके हैं, उन पर  10% की छूट दी रही है।

- 15 जून 2025 तक कुल 920 संपत्तियों का विक्रय किया जा चुका है, जिससे मंडल को 139.47 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति हुई है। 

प्री बुकिंग पर ही बनेंगे मकान 

सरकार ने एक और फैसला किया है। हाउसिंग बोर्ड अब किसी भी नई योजना की शुरुआत तब तक नहीं करेगा जब तक उसकी प्रीबुकिंग 60 फीसदी न हो जाए। यह हाउसिंग बोर्ड को घाटे बचाने और अनावश्यक निर्माण से बचने के लिए किया गया है। हाउसिंग बोर्ड से अब कार्पोरेट मॉडल पर काम करवाया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल अब केवल किफायती मकान ही नहीं, बल्कि एक कॉरपोरेट मॉडल को अपनाकर कार्य कर रहा है। यहां विभिन्न श्रेणियों के आवासीय मकान के साथ-साथ व्यावसायिक संपत्तियों का भी निर्माण किया जा रहा है। यह मॉडल शहरी विकास और आत्मनिर्भर आवास नीति के तहत है। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल पर बैंकों का लगभग 800 करोड़ रुपए का ऋण था। राज्य सरकार ने इस बकाया राशि को बजट के राशि से चुका दिया । मंडल अब पूरी तरह से हुआ ऋण मुक्त हो गया है। 

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