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दुर्ग मेडिकल कॉलेज में मरीजों को दी जा रही दवाओं और टेस्ट किट की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हाल ही में सिप्रोफ्लोक्सासिन एंटीबायोटिक टैबलेट खाने से दो मरीजों को गंभीर एलर्जी की शिकायत हुई।
दोनों मरीज कान में संक्रमण के बाद 22 जुलाई को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे थे। दवा लेने के कुछ समय बाद ही उनके हाथों में सूजन आने लगी। यह टैबलेट सिर्फ इन्हीं दो मरीजों को दी गई थी। मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन ने तत्काल दवा का उपयोग रोकते हुए पूरी खेप वापस कर दी।
टेस्ट किट से मरीजों की जांच रिपोर्ट सही नहीं आई
इसी तरह, एचसीवी रैपिड टेस्ट किट से मरीजों की जांच के दौरान रिपोर्ट सही नहीं आई। डॉक्टरों ने लगभग 20 किट का उपयोग किया, लेकिन कोई भी रिपोर्ट स्पष्ट नहीं मिली। इसके बाद किट का उपयोग बंद कर दिया गया और पूरी जानकारी केंद्रीय औषधि भंडार व संबंधित विभागों को भेजी गई।
दुर्ग मेडिकल कॉलेज से 8 हजार टैबलेट वापसजानकारी के अनुसार, 2079 टैबलेट की सप्लाई दुर्ग मेडिकल कॉलेज में हुई थी, जबकि अब तक 8 हजार टैबलेट वापस किए जा चुके हैं। इनकी बैच संख्या CIA401 है और यह जून 2026 तक उपयोग योग्य थीं। वहीं, 880 एचसीवी रैपिड टेस्ट किट की सप्लाई भी की गई थी, जिनका बैच नंबर HCV24008 है। नवंबर 2026 तक एक्सपायरी डेट वाली इन किट्स को भी लौटा दिया गया है।
पांच बिंदुओं में समझें पूरी खबर
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पिछले दो महीनों में 13 से अधिक दवाओं और मेडिकल उपकरणों पर गुणवत्ता को लेकर सवाल उठे हैं। इनमें पैरासिटामोल, इंजेक्शन, ग्लूकोज सलाइन, सर्जिकल ब्लेड और दस्ताने तक शामिल हैं। हर बार जांच की बात कही जाती है, लेकिन ठोस कार्रवाई का अभाव गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
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