'द सूत्र' की खबर के बाद एक बार फिर से एक्शन हुआ है। महिला बाल विकास विभाग ने प्रदेश के 6 जिलों में 40 करोड़ की खरीदी मामले में जिम्मेदार अधिकारी सुनील कुमार शर्मा से प्रभार वापस ले लिया है। उनकी जगह अब अभय कुमार देवांगन को आईसीडीएस का प्रभार दिया गया है 'द सूत्र' ने 17 जुलाई को 40 करोड़ की खरीदी मामले में अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होने को लेकर खबर बनाई थी। इस 40 करोड़ रुपए में आंगनबाड़ियों के लिए घटिया सामान की खरीदी हुई थी।
मलाईदार पद देने की तैयारी..
महिला में बाल विकास विभाग में 40 करोड़ की खरीदारी आईसीडीएस शाखा से हुई थी। जिसके प्रभारी सुनील कुमार शर्मा है। इसके बावजूद भी इन पर कार्रवाई नहीं हुई।बताया गया कि महिला एवं बाल विकास विभाग बंगले के गरीबी होने का इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
यह 31 जुलाई को रिटायर भी हो रहे है। इसके बाद इन्हें बैक डोर से फिर से संविदा में लाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए बाकायदा फाइल भी चल रही है। हालांकि "द सूत्र" में खबर लगाई जाने के बाद इनमें से प्रभाव छीन लिया गया है। लेकिन यह दिखावे की कार्रवाई बताई जा रही है।
अधिकारियों को बचा लिया
प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों में घटिया सामग्री एक कमिटी के द्वारा होती है। इसमें सबसे प्रमुख अधिकारी आईसीडीएस शाखा प्रभारी सुनील कुमार शर्मा थे। "द सूत्र" ने सवाल उठाया कि आखिर सप्लाई के दौरान इन चीजों को बिना जांचे केंद्र तक कैसे भेजा गया? इससे भी बड़ा सवाल यह है की गड़बड़ी मिलने के बाद भी अधिकारियों को क्यों बचाया जा रहा है? क्यों आखिर अधिकारियों की भूमिका तय नहीं की गई? जिसके बाद कार्रवाई का दिखावा किया गया है।
मंत्री बंगले को संलिप्तता का आरोप
अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होने को लेकर बताया गया कि अगर इन अधिकारियों पर कार्रवाई होगी तो ऐसे लोग के भी नाम सामने आ जाएंगे। जिसके आने से राज्य की राजनीति पर फर्क पड़ेगा। बताया जा रहा है कि इसके लिए मंत्री बंगले से ही निर्देश प्राप्त हो रहे थे।
6 कंपनियों को किया ब्लैक लिस्ट
जांच रिपोर्ट के आधार पर 6 सप्लायरों को दोषी पाए जाने पर जेम पोर्टल से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। जिनमें मेसर्स नमो इंटरप्राइजेस, आयुष मेटल, अर्बन सप्लायर्स, मनीधारी सेल्स, ओरिएंटल सेल्स और सोनचिरिया कॉर्पोरेशन शामिल हैं।
दावा किया जा रहा, इनसे खराब सामग्री वापस लेकर मानकों के अनुसार नई सामग्रियों की आपूर्ति कराई गई है। लेकिन कंपनियों को केवल जेम पोर्टल पर ही ब्लैकलिस्टेड किया गया...विभाग से नहीं। इसका मतलब है ये विभाग के उन खरीदी में हिस्सा लेते रहेंगे। जिसमें जेम के तहत सप्लाई की आवश्यकता नहीं होगी।
40 करोड़ का आंकड़ा घट गया
महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार वर्ष 2024-25 में 23.44 करोड़ रुपये की सामग्री खरीदी गई, जबकि जांच घोषणा के दौरान 40 करोड़ रुपये की खरीदी की बात आई थी। यानी जांच के बाद करीब 16 करोड़ रुपये कम हो गए।
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