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रामचरित मानस की चौपाई का उल्लेख करते हुए जशपुरनगर जिला न्यायालय ने बहू से दुष्कर्म करने वाले चाचा ससुर को 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई हैं। 13 अगस्त 2022 को पीड़िता ने पंडरापाठ चौकी में दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि 12 अगस्त को वह और उसकी बेटी घर में अकेली थी। पति काम के सिलसिले में बाहर गए हुए थे।
अचानक उसके कमरे में आरोपित जो रिश्ते में उसका चाचा ससुर लगता है, घुस आया और उससे दुष्कर्म करने लगा। पीड़िता ने शोर मचाया और उसकी बेटी भी घबरा कर शोर मचाते हुए सहायता के लिए बाहर दौड़ गई। कुछ देर बाद बेटी और पड़ोसियों ने उसे आरोपित के चुंगल से छुड़ाया।
रामचरित मानस की चौपाई सुनाकर दी सजा
दुष्कर्मी को सजा सुनाने के दौरान न्यायाधीश जनार्दन खरे ने रामचरित मानस की चौपाई‘‘अनुज बधू भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी॥ इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई। ताहि बधे कछु पाप न होई॥’’ का उदाहरण स्वरूप उल्लेख किया। उन्होंने इसका भावार्थ बताया कि छोटे भाई की स्त्री, बहन, पुत्र की स्त्री और कन्या ये चारों समान हैं। इनको जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है, उसे मारने में कुछ भी पाप नहीं होता।
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