नानगुर स्वामी आत्मानंद विद्यालय की नौवीं कक्षा की छात्रा राखी नाग विलक्षण हैं। वह जन्म से दिव्यांग है, परंतु पढ़ाई को लेकर ललक ऐसी है कि हाथ काम नहीं करते हैं तो पांव के पंजों से ही लिखने लगी। सालों के अभ्यास से अब वह इतनी पारंगत हो चुकी है कि उसकी लिखावट किसी सामान्य बच्चे की तरह है, जो हाथों से लिखता है।
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करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बनी राखी
राखी का जीवन करोंड़ों लोगों के लिए प्रेरणा दायक है। राखी का परिवार कैकागढ़ पंचायत के बेंगलुरु गांव में रहता है। पिता धनसिंह नाग एक निजी गैस एजेंसी के लिए साइकिल से गांव–गांव घूमकर गैस सिलेंडर की डिलीवरी करते हैं। माता चैती घरेलू महिला है और इमली, महुआ जैसे वनोपज संग्रहण से अर्जित आय से घर चलाने में योगदान देती है।