सड़क दुर्घटना : मौतें और घायलों की संख्या हर साल बढ़ रही, VVIP के लिए दो शिफ्ट में 16 लोग

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट से लगभग चार किमी पहले सड़क पर एक बोर्ड लगा है। ये शायद VVIP के आने-जाने की वजह से है। यहां एक अमला हाथों में डंडा/पाइप लिए मवेशियों को पूरी मुस्तैदी से हांकता नजर आता है...

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Shiv Shankar Sarthi
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सड़क दुर्घटना : छत्तीसगढ़ में सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों के आंकड़े और वजहें चौंकाने वाली हैंI हाईकोर्ट ने भी मामले पर बकायदा संज्ञान लिया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट और भारत सरकार के दिशा-निर्देशों पर भी सालों से यातायात पुलिस और संबंधित सभी विभाग काम कर रहे हैं। फिर भी सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों में कोई कमी नहीं आ रही हैं। 

VVIP तो सुरक्षित, लेकिन आम लोग मर रहे हैं

सड़क दुर्घटना की वजह चालकों की नींद पूरी नहीं होना, ड्रिंक एंड ड्राइव, सड़कों में संकेतकों की कमी, गड्डों की भरमार वाली सड़कें हैं। इसके साथ ही नियमों के विपरीत कट्स और मापदंडों के विपरीत बने स्पीड ब्रेकर्स, अंधे मोड़, सड़कों में मवेशियों का बसेरा आदि से दुर्घटनाएं होती रहती हैं। जिन सड़कों का इस्तेमाल आम लोग करते हैं उन्हीं सड़कों का उपयोग VVIP भी करते हैं। फिर भी न जाने क्यों VVIP तो सुरक्षित हैं, लेकिन आम लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर मर रहे हैं। ग्राम फूंडहर में मवेशी विचरण प्रतिबंधित क्षेत्र का एक बोर्ड जरूर ध्यान खींचता है। स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट से लगभग चार किलोमीटर पहले यह बोर्ड सड़क पर है। यह बोर्ड और चाक-चौबंद व्यवस्था शायद VVIP के आने-जाने वाले मार्ग की वजह से है। वीआईपी रोड में फूंडहर चौक के आसपास एक अमला हाथों में डंडा/पाइप आदि लिए हुए सड़क पर मौजूद मवेशियों को पूरी मुस्तैदी से हांकता नजर आता है। जिस मुस्तैदी के साथ एक अमला वीआईपी रोड पर मुस्तैद नजर आता है। उतनी मुस्तैदी के साथ काम करता हुआ अमला, पूरे राज्य में कहीं भी दिखाई नहीं पड़ता है। 

सुगम यातायात : आम और खास में फर्क!

राज्य में नगर निगम, नगर पालिक निगम और नगर पालिका परिषद आदि सुगम यातायात हेतु प्रबंधन का काम करती है। नगर पालिक निगम रायपुर की काऊ कैचर टीम वैसे तो पूरे शहर से सड़कों पर घूम रहे पशुओं को उठाकर कांजी हॉउस में लेकर जाती है। फिर भी कलेक्टर कार्यालय रायपुर और नगर पालिक निगम रायपुर के आस पास आवारा मवेशी दिख ही जाते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य के ज्यादातर सड़कों पर मवेशियों के छोटे-बड़े झुण्ड हमेशा देखे जा सकते हैं, लेकिन रात में स्तिथि बेहद भयावह होती है।

राजधानी के वीआईपी रोड में बोर्ड भी और अमला भी 

एक्सप्रेस वे के बायीं ओर फूंडहर जाने वाली सड़क पर एक बोर्ड है। इस बोर्ड में मवेशी उठाओ प्रभारी का मोबाइल नंबर दर्ज है, यह इलाका मवेशी विचरण प्रतिबंधित क्षेत्र है। यहीं से होकर VVIP स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट जाते हैं और एयरपोर्ट से शासकीय आवास आदि के लिए वापसी करते हैं। आगे फूंडहर चौराहे पर अलसुबह से लेकर रात तक डंडा/पाइप आदि लिए लोग सुगम यातायात में मवेशी बाधक न बने इसको लेकर मुस्तैद नजर आते हैं। यहां अमला दिखाई पड़ता और मुस्तैदी भी, जबकि शहर के बाकी हिस्सों में अमला नदारद ही नजर आता है। फूंडहर का यह इलाका नगर पालिक निगम के जोन दस में आता है। मवेशी भगाने के काम में लगे ठेका कर्मचारी ने बताया कि साढ़े सात हजार रुपए हर महीने मिलते हैं। दो शिफ्ट में 16 लोग, मवेशी भगाने का काम करते हैं।

दुर्घटनाओं में मौत पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान 

सड़कों पर हो रही मौतें कितनी गंभीर हैं यह इस बात से भी पता चलता है कि मामले को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा है। सरकार की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय और मुख्य सचिव आदि हाईकोर्ट की सुनवाई का सामना कर रहे हैं।

क्या कर रही है सरकार... 

बहरहाल, भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुरूप राज्य सरकार हर वो काम करती नजर आती है जिससे दुर्घटनाओं में कमी आए। पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जिला प्रसाशन के अधिकारी यातायात पुलिस, जागरूक नागरिक, NGO आदि ने मिलकर ब्लैक स्पॉट की पहचान की है। स्पीड ब्रेकर्स और सड़क संकेतकों चिन्हों को ठीक किया गया है।

छत्तीसगढ़ में सड़क दुर्घटना, मौतें और घायलों की संख्या...

साल दुर्घटना मृतक घायल
2020 11656 4606 10505
2021 12375 5371 10683
2022 13279 5834 11695
2023 13468 6166 11723
2024 (दिसंबर से जून तक) 7710 3629 6563

The sootr की नजर से...

सरकारों के तमाम प्रयासों के बाद सरकार के आंकड़े बता रहे हैं कि तमाम शासकीय प्रयासों के बाद भी 2020 से लेकर 2023 तक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतें और घायलों की संख्या बढ़ी ही है।

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