साय सरकार का जीरो टॉलरेंस मॉडल: भ्रष्टाचार पर सीधा वार, एक के बाद एक सख्त कार्रवाई

छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है। कई घोटालों में सख्त कार्रवाई की गई है। डिजिटल सुधारों से जनता को पारदर्शी और त्वरित सेवाएं मिल रही हैं।

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The Sootr
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RAIPUR. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुआई वाली सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक युद्ध छेड़ दिया है। 'जीरो टॉलरेंस' की नीति सिर्फ नारा नहीं, बल्कि एक्शन में बदल चुकी है। साय सरकार का साफ संदेश है कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं होगा। सुशासन की कसौटी पर हर निर्णय, हर कार्रवाई और हर योजना को परखा जा रहा है। जहां भी गड़बड़ी मिल रही है, वहां सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। 

साय सरकार का मिशन 'सुशासन तिहार' भी सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता को बढ़ावा देने का बड़ा मंच बन रहा है। यह प्रोग्राम प्रशासनिक प्रक्रियाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ों पर चोट करने की दिशा में भी निर्णायक साबित हो रहा है। 

साय सरकार ने अब तक छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC), जिला खनिज निधि (DMF), रिएजेंट घोटाले और भारत माला प्रोजेक्ट के मुआवजा घोटाले जैसे गंभीर भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई की है। इन मामलों में शामिल अफसर और कर्मचारियों पर जांच एजेंसियों ने शिकंजा कसा है। कई मामलों में निलंबन, गिरफ्तारी और विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 

यही नहीं, सरकार जनसुविधाओं को आसान और पारदर्शी बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है। संपत्ति पंजीयन की प्रक्रिया को सरल और डिजिटल बनाकर बिचौलियों की भूमिका खत्म की गई है। जनता को अब सीधे राहत मिल रही है। 

सरकार ने CGPSC की जांच सीबीआई को सौंपी 

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सबसे पहले बात छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की करते हैं। CGPSC में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आने के बाद इस मामले में लिप्त कई अधिकारियों-कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की है। गौरतलब है कि पूर्व अध्यक्ष तामन सिंह सोनवानी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 45 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

यह रिश्वत रायपुर की इस्पात कंपनी के मालिक श्रवण कुमार गोयल से ली गई थी, ताकि उनके बेटे और बहू को डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित किया जा सके। इसके अलावा, 2020 और 2021 में आयोजित CGPSC परीक्षाओं में अनियमितताओं की शिकायतों के बाद साय सरकार ने इस मामले की जांच CBI को सौंपी है।

यह घोटाला भर्ती प्रक्रिया में पक्षपात और रिश्वतखोरी का बड़ा नमूना है, जिसने जनता का विश्वास हिला दिया है। अब इस प्रकरण में सरकार ने अपनी सुशासन की नीति के तहत कार्रवाई करते हुए जनता को यह बताया है कि किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

DMF घोटाले में लिप्त अफसरों पर कसा शिकंजा 

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ऐसे ही छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों जिला खनिज निधि यानी DMF के फंड के दुरुपयोग का बड़ा घोटाला सामने आया था, जिसमें खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए आवंटित राशि की हेराफेरी की गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में लिप्त कई अफसरों को गिरफ्तार किया है, जिसमें IAS अधिकारी रानू साहू और पूर्व सहायक आयुक्त माया वरियर शामिल हैं।

जांच में पता चला कि ठेकेदारों ने टेंडर हासिल करने के लिए अधिकारियों को 25 फीसदी से 40 फीसदी तक कमीशन दिया था, जिसके परिणामस्वरूप कोरबा जिले में ही 500-600 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। साय सरकार ने पूरी ताकत के साथ कोर्ट में मामला रखा, जिसके बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने रानू साहू और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। इस कार्रवाई के जरिए साय सरकार ने सख्त संदेश दिया कि चाहे कोई भी हो, छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं है। 

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वहीं, भारत माला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापट्टनम गलियारे के लिए जमीन अधिग्रहण में मुआवजा वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। साय सरकार ने इस मामले में कई अधिकारियों को निलंबित किया है, जिसमें अभनपुर के पूर्व SDM नीरभय कुमार साहू शामिल हैं, जिन पर 43.19 करोड़ रुपए के गलत वितरण का आरोप है।

इस प्रकरण में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 20 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की है, जिसमें नकदी, गहने और जमीन से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए हैं। यह कार्रवाई बताती है कि साय सरकार में जनता के पैसों की बर्बादी किसी भी कीमत पर नहीं सही जाएगी। 

दवा घोटाले में आरोपियों को पकड़ा

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छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में हुए मेडिकल घोटाले पर भी सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। गौरतलब है कि दवा, मेडिकल किट और ब्लड टेस्टिंग उपकरणों की खरीद के नाम पर राज्य सरकार के खजाने को करीब 500 करोड़ रुपए की चपत लगाई गई है। जैसे ही घोटाला सामने आया तो छत्तीसगढ़ की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) हरकत में आई। मोक्षित कॉर्पोरेशन पर कार्रवाई की गई। इसी कंपनी के हिस्से दवा सप्लाई का काम था। इस प्रकरण में अब तक छह गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।

इनमें...शशांक चोपड़ा मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक, कमल कांत पाटनवार CGMSC के तकनीकी महाप्रबंधक, खिरौद रावतिया बायोमेडिकल इंजीनियर, बसंत कोशिक पूर्व तकनीकी महाप्रबंधक, डॉ. अनिल परसाई स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर और दीपर कुमार बांधे को ​गिरफ्तार किया गया है। यह घोटाला छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरी चोट है।

जहां बच्चों को ब्लड टेस्ट की सस्ती ट्यूब मिलनी चाहिए थी, वहां उन्हें हजारों में खरीदा गया, शायद इस्तेमाल करने लायक भी न हों... ऐसी ट्यूबें दी गईं। जहां अस्पतालों में दवाएं मुफ्त मिलनी चाहिए थीं, वहां खराब हो चुकी करोड़ों की दवाएं गोदामों में सड़ गईं। मामले मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सख्त रुख अपनाते हुए दोषियों पर कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। 

संपत्ति पंजीयन में सुधार, जनता को राहत

साय सरकार ने घोटालों के मामलों में जहां कार्रवाई करते हुए नजीर पेश की है, वहीं...अपने सुशासन के मॉडल के तहत जनता से जुड़े कामों को भी आसान बनाया है, इन्हीं में से एक है संपत्ति पंजीयन की प्रक्रिया। सरकार ने संपत्ति पंजीयन को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए दस नए सुधार लागू किए हैं।

इनमें सबसे महत्वपूर्ण है आधार-आधारित सत्यापन, जिसके तहत खरीददार और विक्रेता दोनों को आधार से जोड़ा जाएगा। इससे नकली व्यक्तियों द्वारा जमीन बेचने की घटनाओं पर रोक लगेगी। इसके अलावा, शारीरिक गवाहों की जरूरत को खत्म कर दिया गया है, जिससे पंजीयन प्रक्रिया तेज और आसान हो गई है।

ये सुधार भ्रष्टाचार को कम करने और आम लोगों को धोखाधड़ी से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यही नहीं, सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि संपत्ति पंजीयन में महिलाओं को 1 फीसदी की छूट दी जाए, ताकि महिला खरीददारों को प्रोत्साहन मिले।

तकनीक, जांच एजेंसियों और पारदर्शिता पर जोर

साय सरकार में अब योजनाओं की निगरानी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और सत्यापन तकनीकों से की जा रही है। इससे यह साफ है कि सरकार भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने की नीति पर काम कर रही है। कार्रवाई अब सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि स्थायी परिवर्तन के लिए हो रही हैं। 

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