पीएम आवास योजना में घोटाला: मर चुके लोगों के नाम पर निकाल लिए लाखों रूपए, FIR दर्ज

न्यायधानी बिलासपुर के तखतपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत बांधा में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत फर्जी हितग्राहियों और मर चुके व्यक्तियों के नाम पर करोड़ों की सरकारी राशि की हेराफेरी का मामला सामने आया है। 

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Harrison Masih
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Scam of lakhs in PM Awas Yojana bilaspur the sootr
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PM Awas Yojana Scam: छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर के तखतपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत बांधा में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत फर्जी हितग्राहियों और मर चुके व्यक्तियों के नाम पर करोड़ों की सरकारी राशि की हेराफेरी का मामला सामने आया है। 

घोटाले का खुलासा एक 3 सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट के बाद हुआ, जिसमें इस बात की पुष्टि हुई कि ग्राम सभा के माध्यम से फर्जी प्रस्ताव पारित कर गलत तरीके से 6 लाख 70 हजार रूपए की राशि निकाली गई। इस मामले में अब आवास मित्र, पंचायत सचिव और रोजगार सहायक के खिलाफ धोखाधड़ी और शासकीय राशि की अनियमितता के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

जांच में सामने आया कि वास्तविक हितग्राहियों के नाम हटाकर उनके स्थान पर अन्य लोगों को 'फर्जी हितग्राही' बनाकर सरकारी राशि निकाली गई। ग्राम सभा में गलत प्रस्ताव पारित कर ये नाम जोड़े गए।

जिन व्यक्तियों के नाम से फर्जीवाड़ा किया गया, वे या तो मृत थे या उन्हें बिना उनकी जानकारी के योजना से बाहर कर दिया गया। कुछ मामलों में संबंधित अधिकारियों ने स्वयं या अपने रिश्तेदारों को योजना का लाभार्थी बना दिया।

फर्जी हितग्राहियों की सूची और राशि का ब्योरा:

वास्तविक हितग्राही फर्जी हितग्राही निकाली गई राशि
राजेश कुमार पिता कन्हैया राजेश सोनवानी (स्वयं आवास मित्र) ₹1,20,000
सरस्वती मरावी सरस्वती वर्मन ₹1,20,000
रामफल पोर्ते (मृत) केहर सिंह श्रीवास ₹95,000
लैनी बाई रागिनी सोनवानी ₹96,000
सोनादेवी अग्रवाल सरोजनी बंजारे ₹1,20,000
गंगोत्री यादव (मृत) गंगोत्री पात्रे ₹1,20,000

कुल गबन की गई राशि: ₹6,70,000

 

ग्राम सभा के फर्जी प्रस्तावों का खेल

29 सितंबर 2020 से 13 अक्टूबर 2023 के बीच आयोजित ग्राम सभाओं में फर्जी प्रस्ताव पारित कर इन हितग्राहियों के नाम दर्ज किए गए। जांच में सामने आया कि सचिव, आवास मित्र और रोजगार सहायक की मिलीभगत से ही यह घोटाला संभव हुआ।

जांच समिति की पुष्टि

घोटाले के खुलासे के बाद जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल ने तुरंत एक तीन सदस्यीय टीम गठित कर जांच के आदेश दिए। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि डाटा एंट्री ऑपरेटर रितेश श्रीवास, अस्थायी रोजगार सहायक, आवास मित्र राजेश सोनवानी, पंचायत सचिव दिलीप पात्रे ने पूरी जानकारी होते हुए भी जानबूझकर फर्जी हितग्राहियों का पंजीयन, जियो टैगिंग और भुगतान की प्रक्रिया पूरी की।

FIR दर्ज: अब होगा कानूनी शिकंजा

जांच में आरोप सिद्ध होने के बाद जिला पंचायत सीईओ ने तखतपुर थाने में FIR दर्ज करवाई। पुलिस ने आरोपियों पर IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (शासकीय राशि में गबन), और अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे गरीबों के लिए चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजना में भ्रष्टाचार का यह मामला न केवल शासन-प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे स्थानीय स्तर पर योजनाओं को लाभ कमाने का जरिया बना लिया गया है।

इस घोटाले से सरकारी योजनाओं की निगरानी प्रणाली की कमजोरी भी उजागर हुई है। अब देखना होगा कि आगे इस मामले में कितने और नाम सामने आते हैं, और क्या दोषियों को कड़ी सजा मिलती है या मामला फाइलों तक ही सिमट कर रह जाता है।

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