सवा 3 करोड़ रुपए का गबन कर गए समाज कल्याण विभाग के अधिकारी, 3 साल बाद हुआ खुलासा

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में समाज कल्याण विभाग में करोड़ों रुपये के गबन का सनसनीखेज मामला सामने आया है। दो पूर्व उपसंचालकों पर 3 करोड़ 25 लाख 50 हजार रुपये की सरकारी राशि का दुरुपयोग करने का आरोप है।

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VINAY VERMA
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Social welfare department officials embezzled Rs 3 25 crore
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समाज कल्याण विभाग में सरकारी पैसे के गबन का एक गंभीर मामला सामने आया है। मामला गरियाबंद जिले का है, जहाँ 2 उपसंचालको ने 2015 से 2018 और 2018 से 2022 के बीच मे 3 करोड़ 25 लाख 50 हजार रुपए की हेराफेरी की है।

मामला अब जिला सिटी कोतवाली गरियाबंद पहुंचा है। दोनों अधिकारियो के रिटायरमेंट के बाद मामला दर्ज हुआ है। बताया जा रहा है कि दोनों अधिकारी रिटायरमेंट के बाद जेल जा सकते हैं।


कुंदन सिंह शिकायत पर FIR दर्ज

आवेदन की जांच के आधार पर पुलिस में पहले आरोपी 2018 से 2022 तक रहे पूर्व उप संचालक और 2015 से 2018 तक पदस्थ एल.एस. मार्को के विरुद्ध अपराध रजिस्टर किया है। FIR के अनुसार, रायपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर द्वारा दोनों अधिकारियों के खिलाफ लोक आयोग रायपुर में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई थी।

इस शिकायत की जांच के लिए कलेक्टर गरियाबंद के आदेशानुसार तीन सदस्यीय संयुक्त जांच समिति गठित की गई, जिसमें अपर कलेक्टर अरविंद कुमार पांडे, जिला कोषालय अधिकारी पीसी खलखो और उप संचालक समाज कल्याण दोनर प्रसाद ठाकुर शामिल थे। 


जांच समिति को गड़बड़ी मिली थी

जांच समिति द्वारा गहराई से की गई पड़ताल में यह पाया गया कि ‘राज्य निराश्रित निधि’ के नाम से जारी चेकों का कोई स्पष्ट रिकॉर्ड कार्यालय में मौजूद नहीं है। तत्कालीन उप संचालकों ने इन पैसे के खर्च का कोई रिकार्ड रखा है। 

बिना कारण पैसे निकाले गए

चेक किन फर्मों को और किस प्रयोजन के लिए भुगतान किए गए, इसकी भी कोई जानकारी कार्यालय में उपलब्ध नहीं थी। जांच में सहायक ग्रेड-2 ओमप्रकाश सिन्हा, सहायक ग्रेड-3 पीलाराम वर्मा और सहायक ग्रेड-2 पवन कुमार सोनी के कथन लिए गए।

साथ ही संबंधित बैंकों और वरिष्ठ कार्यालयों से दस्तावेज जुटाए गए, जिनके विश्लेषण से यह पुष्टि हुई कि तत्कालीन अधिकारियों द्वारा बिना वैधानिक प्रक्रिया के 3 करोड़ 25 लाख 50 हजार रुपय बिना कारण निकाला।

  • 3 करोड़ का गबन – दो पूर्व उपसंचालकों पर गंभीर वित्तीय हेराफेरी

  • रिटायरमेंट के बाद खुलासा – सेवा निवृत्ति के बाद दर्ज हुआ केस

  • जांच समिति गठित – तीन सदस्यीय टीम ने की गहराई से पड़ताल

  • रिकॉर्ड गायब – चेक भुगतान का कोई वैध दस्तावेज नहीं मिला

  • निजी खर्च का उपयोग – राशि का इस्तेमाल अधिकारियों ने अपने काम में किया


पैसे का निजी काम मे इस्तेमाल का जिक्र

संयुक्त जांच समिति के प्रतिवेदन में यह भी दर्ज है कि उक्त राशि का उपयोग अधिकारियों द्वारा निजी कार्यों में किया गया, जिससे यह स्पष्ट रूप से शासकीय धन का गबन माना गया।  मामले में अन्य संबंधित दस्तावेज और कर्मचारियों के बयान भी शामिल किए जा रहे हैं।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वे बेहद चौंकाने वाले हैं और आने वाले दिनों में इस प्रकरण में अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता भी उजागर हो सकती है।

FAQ

यह गबन किस विभाग में हुआ है?
समाज कल्याण विभाग, गरियाबंद जिले में।

FAQ

यह गबन किस विभाग में हुआ है?
समाज कल्याण विभाग, गरियाबंद जिले में।
गबन की कुल राशि कितनी बताई जा रही है?
3 करोड़ 25 लाख 50 हजार रुपये।
आरोप किन अधिकारियों पर लगे हैं?
दो पूर्व उपसंचालक – एक 2015-2018 के कार्यकाल का, दूसरा 2018-2022 का।

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