आरक्षक बने आत्मसमर्पित नक्सली.. पहले करते थे गोलीबारी अब करे रहे देश की रक्षा
दो आत्मसमर्पित नक्सलियों को राज्य सरकार ने आरक्षक के पद पर नियुक्ति दी है। दोनों नक्सलियों ने पत्नी समेत हिंसा का मार्ग छोड़कर साधारण जीवन जीने के लिए समर्पण किया।
छत्तीसगढ़ से इस वक्त बड़ी खबर सामने आई है। दो आत्मसमर्पित नक्सलियों को राज्य सरकार ने आरक्षक के पद पर नियुक्ति दी है। दोनों नक्सलियों ने पत्नी समेत हिंसा का मार्ग छोड़कर साधारण जीवन जीने के लिए समर्पण किया। राज्य सरकार की आत्म समर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर दो इनामी नक्सलियों ने सरेंडर किया था।
दोनों इनामी नक्सलियों को शैक्षणिक योग्यता पूरी करवा आरक्षक के पद पर नियुक्ति प्रदान की गई है। आत्म समर्पित माओवादी दिवाकर उर्फ किशन उर्फ लिबरू कोर्राम नक्सलियों का पूर्व डीवीसी सचिव था। इस पर 8 लाख रुपए का इनाम था। वहीं दूसरा मंगलू उर्फ तेजू के ऊपर दो लाख का इनाम था, वहां नक्सलियों की एरिया कमेटी का सदस्य था। खास बात यह है कि दोनों नक्सलियों ने अपनी पत्नियों के साथ समर्पण किया था।
आत्मसमर्पित नक्सलियों को मिली आरक्षक की नौकरी
आत्मसमर्पित माओवादी दिवाकर उर्फ किशन उर्फ लिबरू कोर्राम एवं उसकी पत्नी कुमारी उर्फ लक्ष्मी देवे ने 23 जून 2021 को आत्मसमर्पण किया था। नक्सली संगठन भोरमदेव एरिया कमेटी का सचिव दिवाकर ग्राम हदापार, पंचायत कुदूर, थाना मर्दापाल, जिला कोण्डागांव का रहने वाला है।
एरिया कमेटी के पद पर थे नक्सली
नक्सली संगठन में जुड़ने की बात बोला तो यह चला गया। वर्ष-2010 तक कोण्डागांव दलम में, वर्ष-2010 से माढ़ नेशनल पार्क एरिया में, 02 माह सीसीएम गणपति के गार्ड के रूप में कार्य किया। वर्ष-2010 से 2016-17 तक एसीएम के पद पर रहते हुये कार्य किया एवं वर्ष-2016-17 से डीव्हीसी के रूप में प्रमोट होकर कान्हा-भोरमदेव एरिया कमेटी में भेजा गया।
दिवाकर समर्पित होने के पूर्व डीव्हीसी/सचिव भोरमदेव एरिया कमेटी के पद पर था, जिस पर लगभग 08 लाख रुपए का शासन द्वारा इनाम घोषित था। आत्मसमर्पित नक्सली दिवाकर उर्फ किशन उर्फ लिबरू कोर्राम के विरूद्ध कुल-16 अपराध पंजीबद्ध थे। आत्मसमर्पित नक्सली दिवाकर के निशानदेही पर 23 जून 2021 को थाना भोरमदेव क्षेत्र के बकोदा जंगल में नक्सलियों के द्वारा डम्प की गई नगदी रक
म 10,00,000 रुपए और अन्य नक्सल सामग्री बरामद की गई।