150 करोड़ में बने 42 रिसॉर्ट भी नहीं चला पाया टूरिज्म बोर्ड, निजी हाथों के हवाले 15 होटल और मोटल

सरकार ने प्रदेश में नए होटल, मोटल और रिसॉर्ट बनाने के लिए मोटा पैसा खर्च किया, लेकिन टूरिज्म बोर्ड उनको ही नहीं चला पाया। आधे रिसॉर्ट बंद हो गए, जिनको संचालन के लिए तीस साल की लीज पर निजी हाथों के हवाले किया गया है।

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Arun tiwari
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छत्तीसगढ़ सरकार टूरिज्म पर फोकस कर रही है क्योंकि उसकी खस्ता माली हालत को सहारे की जरुरत है। सरकार को लगता है कि प्रदेश का पर्यटन उसका मददगार बन सकता है। सरकार ने पर्यटन की पांच साल की बेलेंसशीट निकाली तो टूरिज्म बोर्ड घाटे में नजर आया।

सरकार ने प्रदेश में नए होटल,मोटल और रिसॉर्ट बनाने के लिए मोटा पैसा खर्च किया लेकिन टूरिज्म बोर्ड उनको ही नहीं चला पाया। आधे रिसॉर्ट बंद हो गए जिनको संचालन के लिए तीस साल की लीज पर निजी हाथों के हवाले किया गया है। सरकार अब पर्यटन की नई नीति तैयार करने पर काम कर रही है। अभी ये विभाग बृजमोहन अग्रवाल के पास था लेकिन उनके मंत्री पद छोड़ने के बाद पर्यटन को नए मंत्री को सौंपने की तैयारी की जा रही है। 

पर्यटन के प्रबंधन में फेल रही सरकार 

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अलग-अलग जिलों में 42 होटल,मोटल और रिसॉर्ट बनाए। पर्यटकों को लुभाने के लिए इन पर 150 करोड़ रुपए खर्च किए गए ताकि पांच सितारा सुविधाएं देकर पर्यटकों को लुभाया जा सके। प्रदेश में धार्मिक, प्राकृतिक टूरिज्म की बड़ी संभावनाएं हैं। इसके अलावा यहां के जंगल भी पर्यटकों को लुभाते हैं। लेकिन टूरिज्म बोर्ड इन होटल,मोटल और रिसॉर्ट का संचालन नहीं कर पाया।

इसका सबसे बड़ा कारण सामने आया कि प्रबंधन के अभाव में यहां का पर्यटन घाटे में चला गया। पिछले दो साल से पर्यटन को घाटे से उबारने की कोशिश की जा रही है लेकिन कमाई उतनी ही हो रही है जितना कि खर्च हो रहा है।

सरकार ने अपना फंड लगाकर बस्तर और कांकेर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में भी रिसॉर्ट खोले क्योंकि यहां निजी कंपनियां पैसा लगाने नहीं आ रहीं थीं। मैनपॉवर की कमी और प्रबंधन के अभाव में 42 में से 24 होटल बंद हो गए। संचालन के अभाव में इनमें से 11 रिसॉर्ट को निजी हाथों के हवाले कर दिया गया है। चार को निजी कंपनी को देने की प्रक्रिया चल रही है। 

ये होटल इन निजी कंपनियों के हवाले 

1.बरहिदा लेकव्यू टूरिस्ट रिसॉर्ट,कांकेर- इचेटिंग टेल्स होटल एंड रिसॉर्ट 
2. जोहार पर्यटक विश्रामगृह,चंपारण्य -सौम्या रिसॉर्ट
3. मितान मोटल,रायगढ़- बग्गा इंटरप्रायजेज
4. मितान मोटल,सरगुजा- प्रयाग ग्रुप
5.मितान मोटल,सरगांव-आदित्य इंटरप्रायजेज
6. मितान मोटल, कुलीपोटा-एटी एसोसिएट्स
7.मितान मोटल,खपरी-आशीर्वाद इंटरप्रायजेज
8. मितान मोटल,भाटागांव-भाटिया ट्रेडर्स
9. मितान मोटल,केंद्रीय-चौहान हाउसिंग
10.मितान मोटल,तूमड़ीबोड़- चौहान हाउसिंग
11. मितान मोटल,तीरथगढ़-मां कर्मा एसोसिएट्स

पांच साल में 40 लाख के घाटे में पर्यटन 

1. साल 2019- 20 में 1 करोड़ 84 लाख का घाटा
2. साल 2020- 21 में 2 करोड़ 55 लाख का घाटा
3. साल 2021- 22 में 1 करोड़ 21 लाख का फायदा
4. साल 2022- 23 में 2 करोड़ 47 लाख का फायदा
5. साल 2023- 24 में 41 लाख का फायदा
6.इन पांच सालों में टूरिज्म बोर्ड ने 31 करोड़ की कमाई की जबकि उसका खर्च 31 करोड़ 30 लाख का हुआ।  यानी इन पांच सालों में सरकार को पर्यटन में 30 लाख का घाटा हुआ। 

नई पर्यटन पॉलिसी की तैयारी 

सरकार अब पर्यटन को घाटे से उबारने के लिए नई पर्यटन पॉलिसी लागू करने की तैयारी कर रही है। इसके अलावा पर्यटन के नए क्षेत्रों को तलाशा जा रहा है। इसमें रामवन गमन पथ के विकास का बड़ा रोडमैप तैयार है।

इसके अलावा बस्तर के जंगलों में भी टूरिज्म की सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। सरकार पर्यटकों की आवाजाही बढ़ाने के लिए हवाई सुविधा भी देने जा रही है। छत्तीसगढ़ के पर्यटन मंत्री रहे बृजमोहन अग्रवाल मानते हैं जिस उद्देश्य से पूरा प्लान बनाया गया वो पूरा नहीं हो सका। प्रबंधकीय कमी से यह स्थिति बनी।

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