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रायपुर के पंडरी कपड़ा मार्केट में 2022 में एक भव्य और सर्वसुविधायुक्त अर्बन लाउंज ब्लू मेंस टॉयलेट के निर्माण की घोषणा ने लोगों में उम्मीद जगाई थी। 2023 में यह टॉयलेट बनकर तैयार भी हो गया, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी इसका उद्घाटन नहीं हो सका।
आज यह आधुनिक सुविधाओं से लैस भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है। नल, यूरिनल, और अन्य सामान चोरी हो चुके हैं, और यह इमारत अब कबाड़ का ढेर बनकर रह गई है। इस घटना ने न केवल सरकारी धन की बर्बादी को उजागर किया है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोपों को भी हवा दी है।
निर्माण से खंडहर तक का सफर
2022 में कांग्रेस शासन के दौरान इस अर्बन लाउंज टॉयलेट की नींव रखी गई थी। इसका उद्देश्य पंडरी जैसे व्यस्त कपड़ा मार्केट में पुरुषों के लिए एक आधुनिक, स्वच्छ, और सुविधाजनक टॉयलेट उपलब्ध कराना था। 2023 में भवन का निर्माण पूरा हुआ, लेकिन इसके बाद शुरू हुआ उद्घाटन का इंतजार। इस बीच विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव, और नगरीय निकाय चुनाव के कारण बार-बार आचार संहिता लागू हुई, जिसके चलते उद्घाटन टलता रहा। इस दौरान शहर की सरकार बदली, नए मेयर और पार्षद आए, लेकिन इस टॉयलेट की सुध लेने वाला कोई नहीं रहा। परिणामस्वरूप, रखरखाव के अभाव में यह भवन उपेक्षित हो गया। चोरों ने नल, यूरिनल, और अन्य कीमती सामान चुरा लिया। दीवारें जर्जर हो गईं, और यह आधुनिक सुविधा केंद्र अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सरकारी धन की बर्बादी का जीता-जागता उदाहरण है।
क्या सुविधाएं होनी थीं?
इस अर्बन लाउंज ब्लू मेंस टॉयलेट को शहरवासियों के लिए एक प्रीमियम सुविधा केंद्र के रूप में डिजाइन किया गया था। इसमें निम्नलिखित सुविधाएं प्रस्तावित थीं।
आधुनिक जेंट्स वॉशरूम और टॉयलेट : स्वच्छता और सुविधा के लिए डिजाइन किए गए।लग्जरी रेस्ट रूम : आरामदायक बैठने की व्यवस्था के साथ।
सोफा और एलईडी टीवी : उपयोगकर्ताओं के लिए मनोरंजन और आराम।
इंडक्शन और गर्म पानी की सुविधा : ठंड के मौसम में उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए।
हालांकि, ये सुविधाएं केवल कागजों तक सीमित रह गईं। निर्माण के बाद रखरखाव और सुरक्षा की कमी के कारण यह भवन पूरी तरह बर्बाद हो गया।
भ्रष्टाचार के आरोप और सुधार का वादा
रायपुर की मेयर मीनल चौबे ने इस स्थिति पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसे कांग्रेस शासनकाल में सरकारी धन की बर्बादी का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस सरकार ने केवल योजनाओं के नाम पर पोस्टर लॉन्च किए और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। जनता को कोई सुविधा नहीं मिली। हमारी सरकार शहर के जर्जर और टूटे हुए टॉयलेट्स को ठीक करने के साथ-साथ नए सर्वसुविधायुक्त टॉयलेट्स बनाने की दिशा में काम कर रही है।”
जनता में आक्रोश, जवाबदेही की मांग
पंडरी के व्यापारियों और स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि करदाताओं के पैसे से बने इस भवन को बिना उद्घाटन के खंडहर बनने देना प्रशासनिक विफलता का प्रमाण है। लोग मांग कर रहे हैं कि इस मामले की जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई की जाए, और भविष्य में ऐसी लापरवाही को रोका जाए। यह घटना न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग को दर्शाती है, बल्कि योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी और लापरवाही के गंभीर परिणामों को भी उजागर करती है। मेयर के सुधार के वादों के बीच जनता की नजर अब इस बात पर है कि क्या यह खंडहर बना टॉयलेट पुनर्जनन कर पाएगा या यह सरकारी विफलता की एक और कहानी बनकर रह जाएगा।
प्रमुख सवाल
क्या बार-बार आचार संहिता लागू होने का बहाना बनाकर प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया?
निर्माण के बाद भवन की सुरक्षा और रखरखाव की जिम्मेदारी किसकी थी?
क्या इस मामले में भ्रष्टाचार की जांच होगी और दोषियों को सजा मिलेगी?
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बिना उचित योजना और जवाबदेही के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट केवल जनता के पैसे की बर्बादी बनकर रह जाते हैं।
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