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छत्तीसगढ़ में बनेंगे गौ अभ्यारण्य
छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में गौ अभ्यारण्य बनाने जा रही है। इन गौ अभ्यारण्य बनाने का मकसद प्रदेश में बेसहारा घूम रहे गौवंश को छत मुहैया कराना है। सीएम विष्णुदेव साय ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। ये गौ अभ्यारण्य बस्तर,सरगुजा,बिलासपुर,रायपुर और दुर्ग में बनाए जाएंगे। गौ अभ्यारण्य बनाने का प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश की तर्ज पर तैयार किया गया है। इसके लिए एमपी के आगर मालवा जिले में बने देश के सबसे बड़े गौ अभ्यारण्य के प्रोजेक्ट का अध्ययन किया गया है। ये प्रोजेक्ट छत्तीसगढ़ ने एमपी से लिया है। यहां बनने वाले पांच गौ अभ्यारण्यों में इस प्रोजेक्ट को ही आगे बढ़ाया जा रहा है। एक गौ अभ्यारण्य में तीन से चार हजार गायों को रखने की क्षमता होगी। सीएम ने इसकी समीक्षा बैठक कर पूरी गंभीरता से यह काम करने के निर्देश दिए हैं। सरकार के सूत्र कहते हैं कि एमपी से सारे तकनीकी पहलू, वित्तीय प्रबंध और मार्केटिंग के संबंध में विस्तार से जानकारी ली गई है।
100 करोड़ में बनेंगे अनुसंधान केंद्र
सरकार इन गौअभ्यारण्यों पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च कर इन्हे गौ अनुसंधान केंद्र के रुप में डेवलप करने जा रही है। बीजेपी सरकार ने पिछली भूपेश सरकार की गोठान योजना को बंद कर इस नए प्रोजेक्ट पर काम करना शुरु कर दिया है। इन गौ अभ्यारण्यों को गौ उत्पाद बनाने के केंद्र के रुप में विकसित किया जाएगा। गौ उत्पाद में दूध,दही,घी,मावा,पेड़ा समेत अन्य मिठाइयां और गोबर गैस बनाई जाएगी। इन उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग का जिम्मा आईआईएम यानी भारतीय प्रबंध संस्थान को सौंपा जाएगा। प्रदेश में करीब ढाई लाख गौवंश बेसहारा हैं। नेशनल हाइवे पर ये सड़क हादसों का कारण भी बनते हैं। इसके अलावा सरकार गोठान बंद कर किसानों की नाराजगी भी मोल लेना नहीं चाहती थी। इसलिए इन गौ अभ्यारण्यों से किसानों को भी जोड़ा जाएगा।
एमपी में बनेंगे गाय वन विहार
एमपी के संकल्प पत्र में सरकार ने इस एजेंडे को खासतौर पर शामिल किया है। गौ संवर्धन बोर्ड ने गाय वन विहार बनाने का पूरा प्रोजेक्ट सीएम मोहन यादव को सौंप दिया है। सरकार दस गाय वन विहार बनाने जा रही है। सरकार बजट में इसका प्रावधान करने जा रही है। ये गाय वन विहार हाइवे किनारे बनाए जाएंगे। इनमें भोपाल_जबलपुर, भोपाल_देवास, भोपाल_ग्वालियर, इंदौर_देवास जैसे हाइवे किनारे के जिलों में बनाए जाएंगे। इसके लिए स्थान तय किए जा रहे हैं। एक गाय वन विहार की क्षमता करीब चार हजार गायों को रखने की होगी। एक गाय वन विहार पर करीब 15 करोड़ का खर्च अनुमानित है। इस तरह इन गाय वन विहार पर 150 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा एक हजार छोटी गौशालाएं भी तैयार की जा रही हैं। इनमें 100 गाएं रखने की क्षमता होगी। प्रदेश में करीब नौ लाख से ज्यादा ऐसा गौवंश है जो बेसहारा है। सरकार इन गाय वन विहार में इन गायों को रखेगी। गायों के लिए घास की राशि में भी इजाफा किया जा रहा है। अभी रोजाना बीस रुपए प्रतिगाय के हिसाब से सरकार फंड देती है अब इसको बढ़ाकर 40 रुपए किया जा रहा है।
ऐसा है एमपी का गौ अभ्यारण्य
एशिया का पहला गो-अभयारण्य आगर-मालवा जिले की सुसनेर तहसील के ग्राम सालरिया में वर्ष 2017 में शुरू किया गया। इस अभयारण्य को बनाने का उद्देश्य था कि जो गायें दर-दर भटक रही हैं उन्हें रहने-खाने के लिए एक उचित स्थान मिल जाएगा। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित किए जा रहे इस गो-अभ्यारण्य को राजस्थान के जालौर जिले के पथमेड़ा के गोधाम तीर्थ के जिम्मे किया गया है। इस गौ अभ्यारण्य की क्षमता 6 हजार गायों को रखने की है। इस गौ अभ्यारण्य को भी गाय अनुसंधान केंद्र के रुप में विकसित किया गया था। हालांकि इस अभ्यारण्य को लेकर कुछ विवाद भी सामने आते रहे। यही कारण रहा कि सरकार ने इसे निजी हाथों में सौंप दिया।
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