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छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसा हुआ है छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड की किसी जमीन को नगर निगम के हवाले कर दिया गया है। चार एकड़ से ज्यादा जमीन पर वक्फ बोर्ड का 1920-21 से कब्जा था। अब ये जमीन सरकारी ही गई है।
रिपोर्ट भी कलेक्टर को दी गई है। एक हफ्ते से भी कम समय में तहसील रिकॉर्ड में यह जमीन नगर निगम की होगी। अब निगम ही फैसला लेगा कि इस जमीन का क्या किया जाए। फिलहाल में तय है कि जमीन पर बनीं दुकानों समेत अन्य संपत्तियों का किलाया और टैक्स निगम ही वसूलेगा।
जांच के बाद वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज किया गया
नवापारा इलाके के खसरा नंबर 689 रकबा साढ़े चार एकड़ (1.99 लाख वर्गफीट) जमीन की औसतन कीमत 5000 रुपए वर्गफीट है। ऐसे में कीमत 100 करोड़ से भी ज्यादा हो रही है। वक्फ बोर्ड के दस्तावेजों में इस जमीन का मालिक नवापारा मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड था। बता दें कि कोर्ट में वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि नयापारा की ये जमीन उसके नाम यर है।
इसके बाद ही दस्तावेजों की जांच शुरू की गई। 1920-21 के रिकॉर्ड के मुताबिक ये जमीन शुरू से ही रायपुर नगर निगम और पुलिस विभाग के नाम पर है। अभी इस जमीन पर फजले करोम का बाडा, नवीन मार्केट कांप्लेक्स का हिस्सा डबरी स्कूल, मैदान, कन्या शाला, उर्दू स्कूल, प्राथमिक शाला, सामुदायिक शौचालय विजली ऑफिस, मकान-दुकान बने हैं। 100 साल से भी ज्यादा के रिहाई के अनुसार वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया गया।
10 साल से ज्यादा समय से चल रहा था केस
नयापारा की इस जमीन का मामला पिछले 10 साल से चल रहा था। पहले तहसीलदार, फिर एसडीएम इसके बाद अपर कलेक्टर कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो चुकी है। अपर कलेक्टर ने जमीन का मालिक नगर निगम को ही बताया था।
वक्फ बोर्ड ने इस फैसले के खिलाफ संभाग कमिश्नर कोर्ट में अपील की थी। लेकिन संभाग कमिश्नर ने भी इस दावे को खारिज कर दिया है। उनके फैसले के बाद ही तहसील के अफसरों को जमीन सीमांकन के आदेश जारी किए गए थे। संभाग कमिश्नर के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी या नहीं फिलहाल अभी तय नहीं है।
केंद्र की टीम आने के बाद व्यापक जांच
रायपुर ही नहीं राज्य के सभी जिलों में मक्फ बोर्ड की विवादित या दावा करने वाली जमीनों की जांच तेज कर दी गई है। ये जांच केंद्र की और से बक्क संशोधन अधिनियम लागू होने के बाद हो रही है। अप्रैल में केंद्र की 10 सदस्यीय टीम रायपुर आई थी।
यही टीम वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों के अनुसार संपतियों की स्थिति, उपयोग और उनके रख-रखाव का आंकलन कर रही है। केवल रायपुर में ही वक्फ बोर्ड ने मालवीय रोड समेत कई पौश जराहों पर संपति होने का दावा है। केवल मालवीय रोड में ही जिन संपत्तियों की कीमत 300 करोड़ से ज्यादा है।
चार एकड़ जमीन से हटा वक्फ का कब्ज़ा 4.5 एकड़ जमीन को निगम के हवाले किया गया, जिसकी कीमत ₹100 करोड़ से अधिक आंकी गई। वक्फ बोर्ड का 1920-21 से इस जमीन पर कब्जा था, अब कोर्ट और राजस्व रिकॉर्ड से खारिज। निगम अब दुकानों, मकानों, स्कूलों और अन्य संपत्तियों का किराया और टैक्स वसूलेगा। तहसील रिकॉर्ड में जमीन का सीमांकन पूरा, जल्द ही आधिकारिक एंट्री निगम के नाम। केंद्र सरकार द्वारा राज्यभर में वक्फ संपत्तियों की बड़े स्तर पर जांच की जा रही है। |
वक्फ प्रॉपर्टी की 500 करोड़ की फर्जी रजिस्ट्री
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज ने बढ़ाया कि नए चक्क विधेयक 2025 के तहत केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ में वक्फ संपत्तियों का सवें करा रही है। 500 करोड़ से ज्यादा की रफसंपत्तियों की फर्जी रजिस्ट्री का खुलासा हुआ है।
400 से ज्यादा लोगों नोटिस जारी किया जा चुका है। संबंधित जिलों के कलेक्टर्स को विवादित संपत्ति की रजिस्ट्री सून्य कराने चिट्टी भी लिखी गई है। वक्फ बोर्ड के पास रायपुर में 832, बिलासपुर में 1401, दुर्ग में 125, बस्तर में 55, कोरचा में 44, राजनांदगांव में 300, धमतरी में 312, गरियाबंद में 943, मायुजा में 226 और सूरजपुर में 354 संपत्तियां हैं।
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