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मिशन 2026 को लेकर जिस तरह से बस्तर में बड़े पैमाने पर ऑपरेशन लॉन्च हो रहे हैं, नक्सली पूरी तरह से बैकफुट पर हैं। इसके चलते अब नक्सली जंगलों में सुरक्षा बल के जवानों से लड़ने अपनी पुरानी गुरिल्ला युद्ध नीति को अपनाने पर मजबूर हो चुके हैं। मानसून में भी जवानों का ऑपरेशन लगातार जारी है, ऐसे में नक्सली अब लड़ाई के पुराने पैटर्न को अपनाने की तैयारी करते हुए एक बार फिर गुरिल्ला युद्ध करने की तैयारी में हैं।
जवानों पर हमला करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। दरअसल बीते डेढ़ सालों में जिस तरह से नक्सलियों के बड़े लीडर्स मारे गए हैं, उससे नक्सली संगठन भी कमजोर पड़ा है और नक्सलियों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है।
नक्सली अब गुरिल्ला युद्ध नीति के तहत बड़ी संख्या में ऑपरेशन पर आने वाले जवानों पर हमला करने की योजना बना रहे हैं। इसमें वे घात लगाकर जवानों पर हमला करने, तोड़फोड़ करने की योजना बना रहे हैं। इसके लिए वे जंगलों की खाक छानते हुए वे हमलों के लिए प्वाइंट्स भी चिन्हित कर रहे हैं। वहीं प्रेशर आईईडी व कमांड आईईडी विस्फोट भी नक्सलियों
हिस्सा की गुरिल्ला युद्ध नीति का ही
सामान्य रूप से प्रशिक्षित लड़ाके नहीं होते गुरिल्ला लड़ाकेः नक्सल मामलों के जानकार बताते हैं कि गुरिल्ला बुद्ध नीति के तहत लड़ने वाले नक्सली सामान्य रूप से प्रशिक्षित लड़ाके नहीं होते, बल्कि वे स्थानीय व विद्रोही होते हैं। जवानों पर छिपकर अचानक हमला कर वे तुरंत छिप जाते हैं। इसके साथ ही बुनियादी ढांचों को नुकसान पहुंचाने नक्सली पुल, सड़कों, भवनों की तोड़फोड़ तक करते हैं। इस युद्ध नीति में नक्सली जवानों पर सीधा हमला करने के बजाय छिपकर या अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हैं।
नक्सली बैकफुट पर- लगातार ऑपरेशनों और लीडर्स के मारे जाने से नक्सली संगठनों की ताकत कमजोर हुई है। गुरिल्ला रणनीति पर वापसी- नक्सली फिर से जंगलों में गुरिल्ला युद्ध नीति के तहत हमले की तैयारी कर रहे हैं। छिपकर हमले की योजना- जवानों पर प्रेशर आईईडी, घात लगाकर हमला और तोड़फोड़ की रणनीति तैयार की जा रही है। स्थानीय लड़ाके और विद्रोही सक्रिय- गुरिल्ला लड़ाके प्रशिक्षित नहीं होते, ये स्थानीय व विद्रोही होते हैं जो अचानक हमला कर छिप जाते हैं। इतिहास गवाह है गुरिल्ला नीति का असर- झीरम घाटी, ताड़मेटला और धौड़ाई जैसे बड़े हमले इसी युद्ध नीति के तहत अंजाम दिए गए थे। |
जानिए, गुरिल्ला युद्ध नीति
गुरिल्ला युद्ध नीति एक प्रकार की लड़ने की नीति है, जिसमें छोटे व अनियमित सैन्य बल एक बड़ी और ज्यादा संख्या में विरोधियों के खिलाफ घात लगाकर, छिपकर और तोड़फोड़ करते हुए लड़ते हैं। छिपकर हमला करने पर विरोधी दल को ज्यादा नुकसान पहुंचता है, जबकि हमलावरों का नुकसान काफी कम होता है। यह युद्ध रणनीति अक्सर एक बड़ी राजनीतिक या सैन्य रणनीति का हिस्सा होती है। इसका उपयोग अक्सर विद्रोह, प्रतिरोध या छोटे समूहों द्वारा विरोधी दल पर किया जाता है।
उनकी मूल युद्ध नीति है गुरिल्ला नीति, इसी से जवानों को जवानों का नुकसान हुआ था
गुरिल्ला युद्ध नीति नक्सलियों की मूल युद्ध नीति मानी जाती है। बस्तर में अब तक हुए बड़े हमले इसी नीति के तहत नक्सलियों ने अंजाम दिए हैं। छिपकर नक्सलियों ने जवानों पर हमला किया, जवानों को बड़ा नुकसान हुआ। ताड़मेटला कांड, धौड़ाई घटना, झीरम घाटी कांड सहित अन्य बड़े हमले नक्सलियों की इसी गुरिल्ला युद्ध नीति से किए गए।
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