चुनावी साल में बच्चों ने भी रखी अपनी मांगें, पॉलिटिकल पार्टियों के लिए डिमांड चार्टर जारी, जानें क्या बदलाव चाहते हैं बच्चे

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Vikram Jain
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चुनावी साल में बच्चों ने भी रखी अपनी मांगें, पॉलिटिकल पार्टियों के लिए डिमांड चार्टर जारी, जानें क्या बदलाव चाहते हैं बच्चे

मनीष गोधा, JAIPUR. बच्चों का वोट नहीं होता, लेकिन जरूरतें तो होती हैं, और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए बच्चे भी सरकार पर ही निर्भर हैं। उनकी मांगें और जरूरतें राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों का हिस्सा बनें, इसके लिए जयपुर में बच्चों के साथ एक कार्यशाला की गई, जिसमें बच्चों ने अपना एक डिमांड चार्टर तैयार किया है। यह डिमांड चार्टर अब राजनीतिक दलों को भेजा जाएगा, ताकि जब राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र तैयार करें तो उनमें बच्चों के वास्तविक मुद्दे और मांगें शामिल हों सके।



कार्यशाला में अलग-अलग जिलों के 85 बच्चे हुए  शामिल 



जयपुर में इस कार्यशाला का आयोजन राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण साझा अभियान, राजस्थान गर्ल्स नॉट ब्राइड और जन स्वास्थ्य अभियान आदि संस्थाओं ने किया था। कार्यशाला में जयपुर संभाग के अलग-अलग जिलों के 11वीं, 12वीं तक पढ़ने वाले 85 बच्चे शामिल हुए और इन्होंने आपसी चर्चा के बाद 25 मांगों का एक डिमांड चार्टर तैयार किया है। कार्यशला में शामिल एक बच्ची प्रिया राठौड़ का कहना था कि हम चाहते है कि राजनीतिक दल जब अपने घोषणा पत्र बनाएं तो हमारी जरूरतों का ध्यान रखें और सरकार बनने पर उन जरूरतों पर उचित कार्यवाही करें। 



कई मुद्दों पर चर्चा कर तैयार किया मांग पत्र



बच्चों के साथ काम कर रहे चाइल्ड एक्टिविस्ट शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि दो दिन की कार्यशाला में हमने शिक्षा, सेनीटेशन, स्वास्थ्य, स्कॉलरशिप्स और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों सहित कई मुद्दों पर चर्चा कर यह मांग पत्र तैयार किया है। इसे हम राजनीतिक दलों के साथ ही अलग-अलग विभागों को भी भेजेंगे।



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पिछले 4 चुनाव से हर बार हो रही कार्यशाला



राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण साझा अभियान से जुड़े विजय गोयल ने बताया कि हम पिछले चार चुनाव से हर बार इस तरह की कार्यशाला करते हैं, ताकि बच्चे जो चाहते हैं, वे खुद बताएं और राजनीतिक दलों तक बच्चों के वास्तविक मुद्दे और जरूरतें पहुंचे। उन्होंने बताया कि पिछली बार हमने जो मांगें रखीं थी, उनमें से कई पर काम हुआ है। हमें खुशी है  कि इस बार बच्चों ने कुछ ऐसी मांगें भी रखी हैं, जिनके बारे में हमने नहीं सोचा था। उन्होंने बताया कि इस तरह की कार्यशाला हर संभाग में आयोजित की जाएगी और फिर बच्चों के जरिए ही राजनीतिक दलों तक पूरे प्रदेश का डिमांड चार्टर बना कर भेजा जाएगा।



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जानें क्या हैं बच्चों का डिमांड चार्टर




  • 1. वुमन हैल्थ हैल्पलाइन नंबर जारी किया जाए, जहां बच्चे अपनी स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं बता सकें।


  • 2. सेनेटरी नैपकिंस निस्तारण की मशीनें स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर लगाई जाएं।

  • 3. सभी बच्चों को छात्रवृत्ति लाभ मिले, इसके लिए आरक्षण की व्यवस्था में सुधार किया जाए।

  • 4. स्कूलों में शिक्षकों के मोबाइल फोन, गुटखा, धूम्रपान आदि करने पर रोक लगाई जाए।

  • 5. जीवन कौशल शिक्षा की नियमित पढ़ाई हो। 

  • 6. यौन प्रजनन स्वास्थ्य संबंधित प्रशिक्षित अध्यापक नियुक्त किए जाएं।

  • 7. बाल हितैषी पंचायतें सक्रिय रूप से काम करें।

  • 8. स्कूलों में काउंसलिंग की नियमित व्यवस्था हो।

  • 9. प्ले वे मैथड से पढ़ाई हो। ( खेल-खेल में पढ़ाई होनी चाहिए) 

  • 10. बच्चों के अधिकार और कानूनों को सिलेबस का हिस्सा बनाया जाए।

  • 11. परिवहन साधनों और सार्वजनिक स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे हमेशा चालू हालत में मिलें।

  • 12. प्रेक्टिकल के नाम पर अतिरिक्त फीस पर रोक लगना चाहिए। 

  • 13. मूक बधिर बच्चों की जरूरतों का ध्यान रखा जाए और साइन लेंग्वेज टीचर्स पर्याप्त संख्या में लगाए जाएं।

  • 14. सरकारी व सार्वजनिक भवनों में दिव्यांग बच्चों की जरूरतों के हिसाब से सुविधाएं विकसित की जाएं।


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