Chhatarpur. छतरपुर के एक स्कूल में प्रार्थना चल रही थी कि अचानक 10वीं क्लास का एक छात्र बेहोश हो गया। स्कूल के स्टाफ ने तत्काल उसे सीपीआर दिया, फिर भी होश न होने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना महर्षि विद्या मंदिर स्कूल की है। घटना के बाद जहां पूरे स्कूल में मातम छा गया, वहीं इस खबर ने हर मां-बाप को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर इतनी कम उम्र में बच्चों को हार्टअटैक के मामले क्यों बढ़ रहे हैं।
नामी बिजनेसमैन का बेटा था सार्थक
इस बार कम उम्र में हार्ट अटैक का शिकार छतरपुर के नामी बिजनेसमैन आलोक टिकरिया का बेटा सार्थक हुआ। सार्थक रोज की तरह सुबह 6 बजे उठ गया था। तैयार होकर वह अपने स्कूल पहुंचा, स्कूल शुरु होने से पहले नियमानुसार प्रार्थना चल रही थी। इसी दौरान सार्थक बेहोश होकर गिर पड़ा। जिला अस्पताल के डॉ अरविंद सिंह ने बताया कि सार्थक को कार्डियक अरेस्ट आया था। जो कि एक दुर्लभ कार्डियक अरेस्ट का मामला था, कई मर्तबा जेनेटिक कारणों से ऐसा मामला सामने आता है।
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बेटे की यादें बचाने कर दिया नेत्रदान
सार्थक की मौत के बाद माता-पिता ने अपने बच्चे की स्मृतियों को बचाने के लिए उसकी आंखें दान कर दी। चित्रकूट के सदगुरु नेत्र चिकित्सालय की टीम छतरपुर पहुंची ओर सर्जरी कर सार्थक की आंखें निकाली गईं। सार्थक का एक बड़ा भाई भुवनेश्वर में पढ़ता है साथ ही बहन नोएडा में पढ़ती है। परिवारजनों के छतरपुर पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार कराया जाएगा।
जिला अस्पताल के डॉ अरविंद सिंह भदौरिया ने बताया कि छोटी उम्र में कार्डियक अरेस्ट के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन सार्थक को दुर्लभ प्रकार का कार्डियक अरेस्ट आया था। उन्होंने बताया कि ऐसे केस में हार्टबीट अचानक बढ़ जाती है, जिससे हार्ट काम करना बंद कर देता है और व्यक्ति बेहोश हो जाता है। ऐसे मामलों में बचाव के लिए केवल 10 मिनट का टाइम मिलता है, इस दौरान मरीज को तेजी से सीपीआर दिया जाए तो थोड़ा टाइम और मिल जाता है लेकिन ज्यादातर केस में जान बचाना बेहद कठिन होता है।