दमोह के गंगा जमना स्कूल की कन्वर्ट टीचर्स की सफाई, बोलीं- अपनी मर्जी से किया था धर्मांतरण, 13 साल पहले कर लिया था निकाह

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Chandresh Sharma
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दमोह के गंगा जमना स्कूल की कन्वर्ट टीचर्स की सफाई, बोलीं- अपनी मर्जी से किया था धर्मांतरण,  13 साल पहले कर लिया था निकाह

Damoh. मध्यप्रदेश के दमोह का नाम इन दिनों हिजाब और धर्मांतरण के लिए चर्चा में है। दरअसल राष्ट्रीय बाल आयोग ने अपनी जांच में यह खुलासा किया था कि हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनने पर मजबूर करने वाले गंगा जमना स्कूल में बच्चों को 5 पिलर ऑफ इस्लाम का पाठ पढ़ाया जाता था, वहीं स्कूल की 3 शिक्षिकाएं धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बनी हैं। आयोग के इस खुलासे के बाद तीनों शिक्षिकाओं ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपनी सफाई पेश की है। टीचर्स ने बताया कि उन्होंने अपनी मर्जी से धर्मांतरण किया था।  साल 2010 में गंगा जमना स्कूल खुला था उससे पहले ही वे निकाह कर चुकी थीं। 





धर्मांतरण के आरोपों को किया खारिज







स्कूल की शिक्षिका अफसा शेख ने बताया कि स्कूल में धर्मांतरण को शह देने की बातें निराधार हैं, स्कूल 2010 में खुला था जबकि अफशा की शादी साल 2000 में हुई थी। शिक्षिका ने बताया कि वह बहुत पहले ही इस्लाम धर्म कबूल कर चुकी थीं। इसमें स्कूल का कुछ लेना-देना नहीं था। अफशा ने बताया कि पहले उनका नाम दीप्ति श्रीवास्तव था, उनका कहना है कि संविधान अधिकार देता है कि मैं अपनी स्वेच्छा से कोई भी धर्म ग्रहण कर सकती हूं। 







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  • अनीता यदुवंशी से बनीं अनिता खान







    गंगा जमना स्कूल की दूसरी शिक्षिका अनीता खान ने बताया कि पहले उनका नाम अनीता यदुवंशी था, मेरी शादी साल 2013 में हुई थी। जबकि अनीता ने 2021 में ही स्कूल में ज्वाइनिंग दी थी। अनीता ने कहा कि धर्म परिवर्तन को लेकर स्कूल संचालक इदरीस का कुछ लेना देना नहीं है। राष्ट्रीय बाल आयोग की टीम ने हमारे बयान को तोड़-मरोड़कर दर्ज किया है। जांच टीम ने मेरा नाम अनीता यादव बताया है, जबकि मेरा शादी से पहले अनीता यदुवंशी नाम था। 





    अनीता खान ने कहा कि मीडिया में बार-बार हमारा नाम आने से हम मेंटल डिप्रेशन में जा रहे हैं। हमने इस्लाम कबूला यह हमारा निजी निर्णय था, इसमें स्कूल को क्यों घसीटा जा रहा है। प्रशासन अगर कोई जांच करवाना चाहता है तो हम तैयार हैं। हमारे पर सारे लीगल दस्तावेज मौजूद हैं। 





    तबस्सुम ने 2004 में कबूला इस्लाम







    तीसरी शिक्षिका तबस्सुम ने बताया कि उसका नाम प्राची जैन था, 27 जनवरी 2004 में उसने निकाह किया, धर्म परिवर्तन के लिए किसी ने दबाव नहीं डाला था। उस समय स्कूल का कोई अस्तित्व ही नहीं था, ऐसे में स्कूल को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना वाजिब नहीं है। मैने शादी के कई साल बाद स्कूल ज्वाइन किया था। 





    यह था मामला







    दरअसल स्कूल ने अपने मेधावी छात्र-छात्राओं का एक फ्लैक्स लगवाया था जिसमें कुछ हिंदू छात्राओं को हिजाब में दिखाया था, मामला मचने के बाद प्रशासन ने स्कूल की मान्यता रद्द कर दी। वहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जांच में यह बताया गया कि स्कूल में धर्मांतरण का अड्डा चल रहा था। जांच में इन तीनों शिक्षिकाओं के बारे में भी कहा गया है कि स्कूल की तीन शिक्षिकाओं ने धर्मांतरण कर इस्लाम कबूल किया है। 



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