Raipur. छत्तीसगढ़ की सियासत में आज इतिहास दर्ज होते होते रह गया। साढ़े चार साल के कांग्रेस शासनकाल में यह पहला मौक़ा होता जबकि सीएम भूपेश और डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव एक साथ अंबिकापुर विधानसभा के बूथों पर जाते, इस दौरे को लेकर कार्यकर्ताओं में उत्साह भी था और सवालों का ज़ख़ीरा भी लेकिन अब यह इतिहास कम से कम आज तो रचा नहीं जाएगा क्योंकि ख़राब मौसम को वजह बताते हुए सीएम भूपेश बघेल एयरपोर्ट से सीएम हाउस लौट आए हैं। अंबिकापुर विधानसभा में सीएम भूपेश के साथ अंबिकापुर विधायक और डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव भी साथ आने वाले थे।
अब वर्चुअल होगा कार्यक्रम
सीएम भूपेश बघेल को शासकीय कार्यक्रम के अलावा अंबिकापुर विधानसभा के विभिन्न बूथों पर जाकर कार्यकर्ताओं से संवाद करना था। खबरें हैं कि शासकीय कार्यक्रम में सीएम भूपेश और डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव वर्चुअल तरीक़े से शामिल होंगे। क़यास हैं कि बूथों पर जाकर कार्यकर्ताओं से संवाद का कार्यक्रम बाद में हो सकता है।
क्यों नज़रें टिकी थी 8 जुलाई को अंबिकापुर में
सरगुजा का अंबिकापुर उन टी एस सिंहदेव का गृह और निर्वाचन क्षेत्र है, जहां चार साल तक कार्यकर्ताओं ने खुले तौर पर उपेक्षा अपमान झेला। यह बात आम थी कि, काम भी उनके ही होंगे जिनके माथे सिंहदेव का नाम नहीं लिखा होगा। हर क्षत्रप को कमजोर करो ताकि खुद के लिए चुनौती ना रहे यह राजनीति का स्वाभाविक चरित्र है और इसका बेधड़क प्रयोग हथियार की तरह लगातार हुआ। अब जबकि चुनाव को महज़ चार महीने का वक्त है ऐसे में डिप्टी सीएम सिंहदेव को बनाते हुए आलाकमान ने दिल्ली में कहा कि चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़े जाएँगे।आलाकमान ने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के डिप्टी सीएम घोषित किया लेकिन राजपत्र में प्रकाशन में उसे 9 दिन लग गए, वह भी शायद तब जरुरी हो गया क्योंकि प्रधानमंत्री के शासकीय कार्यक्रम के कार्ड में बतौर डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव का नाम दर्ज हो गया था।
पूरे चार साल राजनीति की हर चाल को सफलता से चलते हुए सीएम भूपेश ने विरोधियों को चारों खाने चित्त तो किया लेकिन इस ने उनके हर विरोधी को साझा एकजुट कर दिया है। इन स्थितियों के बीच जहां सिंहदेव के समर्थक कार्यवाही के लिए जाते थे और उलट उन पर कार्रवाई हो जाती थी, प्रशासन का रवैया दो टूक कठोर अंदाज में ना वाला होता था। वहाँ सिंहदेव के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं के सामने डिप्टी सीएम सिंहदेव और सीएम भूपेश को एक साथ देखते हुए कई सवाल थे जो पूछे जाने तय थे, लेकिन ज़ाहिर है कम से कम आज तो वो पूछे नहीं ही जा सकेंगे।