JAIPUR. राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तपिश से रेतीले धोरों पर उभरी मरीचिका में कुछ नाम दो दिनों से तैर रहे हैं। राजेश पायलट, मिजोरम और आइजॉल। मुद्दा दशकों पुराना है लेकिन बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय के ट्वीट ने इसे जिंदा कर दिया है। मालवीय ने ट्वीट कर कहा था कि मिजोरम की राजधानी आइजॉल पर 1966 में की गई बमबारी में राजेश पायलट शामिल थे। मालवीय ने इसमें कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी का नाम भी जोड़ा था। जिसके बाद सचिन पायलट की सफाई के बाद सीएम अशोक गहलोत ने भी बीजेपी पर पलटवार कर दिया है।
यह लिखा ट्वीट में
सीएम अशोक गहलोत ने अपने ट्वीट में लिखा कि कांग्रेस नेता राजेश पायलट इंडियन एयरफोर्स के वीर पायलट थे। उनका अपमान कर बीजेपी भारतीय वायुसेना के बलिदान का अपमान कर रही है। इसकी पूरे देश को निंदा करनी चाहिए। सीएम के ट्वीट के बाद पूरा मुद्दा सियासी हल्कों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले में इंदिरा गांधी सरकार और कांग्रेस नेताओं का भी नाम आया है। जिसके बाद कई कांग्रेस नेता अमित मालवीय को निशाना बना रहे हैं।
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यह है मामला
दरअसल दो दिन पहले अमित मालवीय ने ट्वीट किया था कि मिजोरम की राजधानी आइजॉल पर 5 मार्च 1966 को जिन फाइटर जेट्स ने बमबारी की थी, उनमें राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी भी पायलट थे। अमित मालवीय के इस आरोप पर सचिन पायलट ने जवाब दिया था कि स्व. राजेश पायलट 29 अक्टूबर 1966 को वायुसेना में अफसर बने थे, उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान पर 1971 में बमबारी की थी, मिजोरम पर बमबारी का दावा झूठा है।
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पीएम मोदी ने संसद में किया था जिक्र
दरअसल 10 अगस्त को संसद में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस ने मिजोरम में असहाय नागरिकों पर हमला करवाया था। कांग्रेस को जवाब देना चाहिए कि क्या यह किसी अन्य देश की एयरफोर्स थी? मिजोरम के लोग हमारे देश के नागरिक नहीं थे? क्या उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत सरकार की नहीं थी?
यह था मामला
दरअसल मिजोरम की राजधानी आइजॉल पर बमबारी के पीछे उग्रवाद और अलगाववाद की कहानी है। 1966 में पीएम पद संभालते ही पूर्वोत्तर में उग्रवाद बढ़ गया था। मिजोरम के मिजो नेशनल फ्रंट के उग्रवादियों ने विद्रोह करते हुए आजादी का ऐलान कर दिया था। यह देश की अखंडता को चोट पहुंचाने वाला ऐलान था। जिसके बाद इंदिरा गांधी ने एयरफोर्स को मिजोरम और उसके आसपास बने उग्रवादी ठिकानों पर अटैक करने के आदेश दिए थे। इस हमले में उग्रवादियों के साथ-साथ आम लोग भी मारे गए थे। सरकार ने आधिकारिक रूप से इस हमले की बात नहीं स्वीकारी थी।